गुवाहाटी : असम की राजधानी गुवाहाटी में 18वीं सदी के उस स्मारक का शुद्धिकरण किया गया गया है जिसे पिछले दिनों आरएसएस के स्वयंसेवकों ने गंदा कर दिया था.
पिछले दिनों सैकड़ों की संख्या में आरएसएस के स्वयंसेवकों ने “करेंग घर” स्मारक पर जाकर ” हिन्दू-हिन्दू भाई-भाई ” के नारे लगाए थे जिसके बाद काफ़ी हंगामा और तनाव पैदा हो गया था.
इसके जवाब में गुवाहाटी के “आल ताय अहोम छात्र संघ” ( एटीएइसयू ) ने पंडितों को ले जाकर इमारत की शुद्धि पूजा करवाई. छात्र संघ ने कहा है कि आरएसएस इस तरह से लोगों मे धर्म के नाम पर नफरत के बीज न बोए. एटीएइसयू के अध्यक्ष नितुल बरगोहाईं ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि “करेंग घर” एक धर्म निरपेक्ष स्मारक है जिससे आरएसएस ने मैला कर दिया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि स्मारकर पर आरएसएस के स्वयंसेवकों की चढ़ाई ने लगभग बाबरी मस्जिद विध्वंस की याद ताज़ा कर दी थी. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को देख ऐसा लग रहा था कि मानो वे उस इमारत पर कब्जा करना चाहते हों। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह न भूले की “करेंग घर” एक धर्म निरपेक्ष जगह है जो सभी धर्मों के लोगो के लिए खुला है न सिर्फ केवल हिन्दुओ के लिए ।
उन्होंने कहा कि आरएसएस की इस हरकत से बाक़ी धर्मों के लोगों की भावनाओं का अपमान हुआ है। आरएसएस भारत को हिन्दू राज्य बनाना चाहता है और हमें शक है कि इसी इरादों के साथ आरएसएस ने असम में घुसपैठ तेज़ की है.
करेंग घर ( शाही महल ) जो “गढ़गांव पैलेस” के नाम से भी जाना जाता है, वह असम की धर्मनिरपेक्ष पहचान का प्रतीक है।