आरएसएस नेताओं को यूपी में बिहार का डर सताने लगा, 30 मंत्रियों संग की बैठक

नई दिल्ली: यूपी चुनाव में बिहार जैसी हार न हो इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता शुक्रवार (चार नवंबर) को केंद्र सरकार के करीब 30 मंत्रियों के संग बैठक की है. बिहार विधान सभा चुनाव में यहाँ की जनता ने पूरी तरह संघ और बीजेपी को नकार दिया था. संघ और बीजेपी के बयानों में अंतर दिखने से हुए नुकसान के बाद यूपी चुनाव की तैयारी के लिए एहतियाती तौर पर ये बैठक की गई है. बताया जा रहा है कि इस बैठक का मकसद आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की रणनीति बनाना था. इस बैठक में बीजेपी नेता और संघ के पदाधिकारी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. एक वरिष्ठ आरएसएस नेता ने कहा कि संघ नहीं चाहता कि यूपी विधान सभा चुनाव में बिहार चुनाव जैसी स्थिति आए.

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जनसत्ता ने एनडीटीवी की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि बैठक में संघ बीजेपी नेताओं के लिए आचार संहिता तय करनी की बात भी कही जा रही है. माना जाता है कि बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के बयानों से पार्टी को नुकसान हुआ था. बिहार चुनाव के दौरान ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा किए जाने की बात कही थी.

करीब दो दशकों से यूपी की सत्ता से बाहर बीजेपी अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव में प्रदेश में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है. हालांकि अभी तक बीजेपी ने यूपी में सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. आज की बैठक में इस बात पर भी चर्चा होने की बात कही जा रही है कि संघ के जमीनी कार्यकर्ता मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को आम लोगों तक किस तरह पहुंचाएंगे. ये भी कहा जा रहा है कि संघ के नेताओं ने केंद्रीय मंत्रियों को बेहतर नीतियां बनाने संबंधी सुझाव भी दिए.
मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले भी बैठक में शामिल थे. माना जा रहा है कि ये बैठक आज सुबह से ही शुरू हो गई थी. बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरुण जेटली के भी शामिल होने की बात कही जा रही है.

आप को बता दें कि बिहार चुनाव में बीजेपी को, नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस महागठबंधन से करारी हार का सामना करना पड़ा था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में पार्टी के लिए कई चुनावी रैलियां की थीं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इससे बिहार में वोटों की लामबंदी हुई और उसे हार का सामना करना पड़ा. बिहार की जनता ने यह सन्देश दिया कि बीजेपी की नीतियाँ उन्हें क़ुबूल नहीं.