मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 1 लाख रुपये के पुराने नोटों को बदलने से इनकार करने पर 47 वर्षीय व्यक्ति ने बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। माटुंगा निवासी सुनील मोदी ने रिजर्व बैंक में इन नोटों को बदलवाने गया था तथा कहा था कि क्योंकि यह नोट 22 मार्च तक पुलिस के कब्जे में थे इसलिए इनको बदला जाए।
याचिका के अनुसार साल 2013 में मोदी को अपनी पत्नी के साथ विवाद के दौरान गिरफ्तार किया गया था और अन्य आरोपों के बीच दहेज उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। उन्हें बाद में जमानत पर रिहा किया गया था। जांच के दौरान पुलिस ने मोदी के पास से 1 लाख रुपये जब्त किए थे जिसमें 500 और 1,000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट शामिल थे। मोदी ने अपने पैसे की वापस लेने के लिए अदालत से संपर्क किया था।
इस महीने के शुरू होने वाले मुकदमे में अदालत ने माटुंगा पुलिस को पैसे वापस करने का निर्देश दिया। यह पैसा 22 मार्च को वापस आया था जिसके बाद मोदी आरबीआई के पास गया। आरबीआई ने इस आधार पर इन पैसों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि यह सुविधा केवल गैर निवासी भारतीयों के लिए ही उपलब्ध है।
याचिका में कहा गया है कि नोटबंदी के दौरान शुरू में लोगों को 31 मार्च तक पुराने नोट बदलने के लिए समय दिया गया था और 31 दिसंबर की समय-सीमा आकस्मिक थी। याचिका में कहा गया है कि यह पैसा पुलिस के पास था इसलिए इसे बदलने के लिए उचित कदम उठाये जाएँ। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की इसमें कोई गलती नहीं थी कि नोटों को नहीं बदलवाया गया।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह किसी नागरिक को अपने अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। मोदी ने एक विशेष केस के हवाले से आरबीआई से पुराने नोटों का आदान-प्रदान करने के लिए अदालत से निर्देश मांगा है। आरबीआई के अलावा उन्होंने वित्त मंत्रालय और माटुंगा पुलिस को उत्तरदाताओं के रूप में बनाया है। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभादेसाई की खंडपीठ के समक्ष वकील सुशील उपाध्याय ने इस याचिका को पेश किया था जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी।