आर्थिक मंदी के चलते लार्सेन और टर्बो में 14000 कर्मियों की छटनी

मुंबई: आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही देश की नामी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सेन एंड टूब्रो(एल एंड टी) ने इस साल अप्रैल-सितम्बर के बीच अपने 14000  कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कंपनी के अनुसार उन्होंने यह कदम चुस्त और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उठाया है।

इकॉनामिक टाइम्स की खबर के अनुसार, लार्सन ऐंड टर्बो ग्रुप का कहना है कि ये कदम बिजनेस में आई मंडी के चलते उठाया गया है। कंपनी का कहना है कि बिजनेस में आई मंदी के चलते अपने वर्कफोर्स को सही लेवल पर लाने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है। कंपनी का कहना है कि ग्रुप में डिजिटाइजेशन के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों के लिए कोई काम नहीं बचा था, जिसके चलते यह छंटनी की गई है। आश्चर्य करने वाला यह आंकड़ा कंपनी के कुल वर्कफोर्स के 11.2 प्रतिशत के बराबर है।

लार्सन ऐंड टर्बो के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) आर. शंकर रमन ने कहा, “कंपनी ने अपने कई बिजनेस में स्टाफ की संख्या सही स्तर पर लाने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। हमने डिजिटाइजेशन और प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने के मकसद से जो उपाय किए थे, उसके चलते कई नौकरियों की जरूरत नहीं रह गई थी। इसके चलते ग्रुप ने 14000 कर्मचारियों की छंटनी की है।”

लार्सन ऐंड टर्बो मैनेजमेंट का अनुमान है कि आने वाले महीनों में आर्थिक वातावरण चुनौतीपूर्ण रह सकता है। हालांकि सरकारी ऑर्डर्स में तेजी आने से प्राइवेट सेक्टर की सुस्ती की भरपाई हो जाएगी।

हाल ही में एल एंड टी ने अपनी पंच वर्षीय रणनीति की घोषणा करते हुए कहा था की उनका लक्ष्य अपना मुनाफा  2 लाख करोड़ तक करने का है, इस योजना में कुछ गैर-निष्पादित व्यवसायों पर दोबारा से सोच विचार की बात भी रेखांकित की गयी थी।