आर एस एस की क़रारदाद नफ़रत का एक दस्तावेज़: पापूलर फ्रंट

पापूलर फ्रंट के मर्कज़ी सेक्योरिट से आज जारी एक बयान में आर एस एस की कुल हिंद आमिला (अखिल भारतीय काय्य कारी मंडल) के ज़रिया मंज़ूर की गई क़रारदाद, जिस में जुनूबी सूबों में नाम निहाद जिहादी शिद्दत पसंदी में इज़ाफ़ा की बात कही गई है को नफ़रत का दस्तावेज़ और तशद्दुद भड़काने की कोशिश क़रार दिया है।

मर्कज़ी दफ़्तर ने कहा है कि आर एस एस ने बिलआख़िर पापूलर फ्रंट को अपना अव्वलीन निशाना क़रार दे दिया है और इस‌के ख़िलाफ़ सरकार से सख़्त क़दम उठाने का मुतालिबा किया है क्योंकि फ्रंट ने महरूम तबक़ात और अक़ल्लियतों के हुसूल इख़्तयारात के लिए इक़दामात किए हैं और आर एस एस के ज़रिया चलाई जाने वाली फ़िर्कापरस्त की अवाम ने मुसलसल मुज़ाहमत की है।

आर एस एस के ज़रिया बिलआख़िर पापूलर फ्रंट पर पाबंदी आइद करने और बुनियादी हुक़ूक़ और बराबरी पर मुबनी अदल के हुसूल के मुतालिबे को क़ाबू करने की कोशिश करना भी उनकी मायूसी का सबूत है क्योंकि इक़तिदार के मराकिज़ पर मौजूद अपने एजैंटों के ज़रिया उठाए जाने वाले ज़ालिमाना इक़दामात की नाकामी से ये वाज़िह होचुका है।

तंज़ीम की मर्कज़ी सेक्योरिट ने मुंदरजा ज़ैल बयान को एक बार फिर दुहराया कि आर एस एस का फ़सताई नज़रिया समाजी वहदत और क़ौमी सलामती केलिए सब से बड़ा चैलेंज है। पापूलर फ्रंट एक ऐसी तहरीक है जिसने इस ख़तरे को पहचान लिया है। पापूलर फ्रंट आर एस एस जैसी समाज की तक़सीम करनेवाली तहरीक और इसके मददगार‌ को रोकने केलिए क़ौमी और जमहूरी ज़िम्मेदारी को क़ानूनी और जमहूरी तरीक़े से अदा करने केलिए मुसम्मम इरादा रखता है।

हमें ना ख़ौफ़ज़दा किया जा सकता है और ना क़ौमी और जमहूरी मिशन से हटाया जा सकता है। इस लिए अगर आर एस एस हमारी मौजूदगी को ख़तरा महसूस करती है तो इस में हैरत की कोई बात नहीं है।