आर टी सी बसों के नंबर प्लेट पर हर्फ़ Z की तहरीर का राज़

नुमाइंदा ख़ुसूसी-ज़माना , बीते वक़्त के साथ सिर्फ गुज़र नहीं जाता बल्कि जाते जाते आने वाली नसल के लिये अपने दौर की यादें , यादगारें , क़िस्से और चंद तारीख़ी वाक़ियात के नुक़ूश छोड़ जाता है । ये नुक़ूश अगर बुलंद-ओ-बाला इमारात हूँ तो यादगार के तौर पर अवाम की नज़रों के सामने रहते हैं और अगर कोई वाक़िया हूँ तो ज़ाहिरी तौर पर लोगों की नज़रों से ओझल रहने के बावजूद तारीख के सुनहरे औराक़ में पोशीदा रहते हैं और उन की इतनी अहमियत होती है कि जब इन मामूली तारीख़ी वाक़िया के तार खींचे जाएं तो एक सुनहरे दौर की याद ताज़ा होजाती है । क़ारईन !

हम आप की तवज्जा हमारी रियासत में चलाई जा रही आर टी सी बसों के नंबर प्लेट की तरफ़ मबज़ूल करवाना चाहते हैं जिस के हर नंबर में हर्फ़ Z ज़रूर तहरीर होता है और इस के पीछे पोशीदा राज़ तारीख के एक दिलचस्प वाक़िया से जुड़े हैं । ये तारीख़ी वाक़िया एक हुक्मराँ बेटे के दिल में अपनी रियाया के साथ साथ अपनी माँ की बेपनाह मुहब्बत के जज़बा को भी नुमायां करता है । दरअसल हुज़ूर निज़ाम साबह नवाब उसमान अली ख़ां ने अपनी रियाया की सहूलत के लिए 1932 मैं हैदराबाद दक्कन में पहली मर्तबा बसों को मुतआरिफ़ करवाया और निज़ाम एस्टेट रेलवे की हैसियत से एक इदारा वजूद में आया था । पोलीस एक्शन के बाद यक्म नवंबर 1951 को इस का नाम बदल कर डिपार्टमैंट आफ़ हैदराबाद एस्टेट गर्वनमैंट कर दिया गया ।

इस के बाद 11 जनवरी 1958 को फिर एक बार इस का नाम तब्दील कर के आंधरा प्रदेश एस्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन रख दिया गया । हुज़ूर निज़ाम नवाब मीर उसमान अली ख़ां के कारनामों पर पी उच्च डी करने वाले पांडव रंगा रेड्डी के मुताबिक़ हुज़ूर निज़ाम साबह ने निज़ाम एस्टेट रेलवे को डिपार्टमैंट आफ़ हैदराबाद एस्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के हवाले करने से क़बलये शर्त रखी थी कि आर टी सी की हर बस की नंबर प्लेट पर हर्फ़ Z ज़रूर तहरीर होना चाहिये । दरअसल नवाब मीर उसमान अली ख़ां बहादुर की वालिदा का नाम ज़ुहरा बानो बेगम था और अपनी माँ के नाम को तारीख के औराक़ में हमेशा आबाद रखने के लिये उन्हों ने हर्फ़ Z को आर टी सी की हर बस के नंबर प्लेट पर तहरीर करवाने की शर्त रखी ।

ये एक मामूली नौइयत का लेकिन एक तारीख़ी वाक़िया है जिस से शहर हैदराबाद केअवाम शायद ही वाक़िफ़ होंगे । ए पी एस आर टी सी को 31 अक्टूबर 1999 को दुनिया के सब से बड़े ट्रांसपोर्ट निज़ाम की हैसियत से गिनीस बुक आफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल किया गया । इस के इलावा बर्तानिया की तंज़ीम Chartered Institute of Transport की जानिब से भी ए पी एस आर टी सी को रोड सेफ्टी एवार्ड से नवाज़ा जा चुका है । हुज़ूर निज़ाम साबह की जानिब से 80 साल क़बल क़ायम किए गए इस इदारे की बसें आज हिंदूस्तान के तमाम जुनूबी इलाक़ा का अहाता करती हैं जिन में तमिलनाडू , पांडे चरी , उड़ीसा , कर्नाटक , महाराष्ट्रा , गोवा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं ।

आज इस इदारे की जानिब से आर डीनरी बसों के इलावा मेट्रो डीलक्स , मेट्रो एक्सप्रेस और सोपर लकसररी ए सी बसें भी चलाई जा रही हैं । हुज़ूर निज़ाम उसमान अली ख़ां बहादुर की जानिब से उठाया गया हर क़दम दूर अंदेशी पर मबनी था जिस का मक़सद यही होता था कि मौजूदा रियाया के इलावा आने वाली नसलों के लोगों तक भी इस का फ़ायदा पहुंचे । हुज़ूर निज़ाम बेला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत अवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद को अव्वलीन तरजीह देते थे । हमारी रियासत के बड़े बड़े और आलमी एज़ाज़ के हामिल पराजकटस उन की बेमिसाल हुक्मरानी का सबूत हैं । एक बहतरीन हुक्मराँ होने के साथ साथ हुज़ूर निज़ाम साबह एक फ़रमांबर्दार बेटे भी थे जो अपनी माँ से बेइंतिहा उलफ़त रखते थे ।।