आर बी आई का पालिसी नज़रेसानी ऐलान

मुंबई

आइन्दा माह तरकारियां महंगी होने से इफ़रात-ए-ज़र का ख़दशा, बैरून-ए-मुल्क सरमायाकारी की हद में इज़ाफ़ा, गवर्नर आर बी आई का बयान

बजट के इशारों के मुंतज़िर आर बी आई के गवर्नर रघूराम राजन ने आज शरह सूद में कोई तब्दीली नहीं की और कहा कि फ़िलहाल कमी की कोई वजह नहीं है और उम्मीद ज़ाहिर की कि बैंक्स शरह सूद में गुज़िश्ता कमी का फ़ायदा सारिफ़ीन को मुंतक़िल करेंगे। रिज़र्व बैंक ने दुबारा ख़रीदारी की शरह 7.75 फ़ीसद बरक़रार रखी और वसीअतर इशारे दिए कि मुस्तक़बिल में तख़फ़ीफ़ का इन्हिसार माली इर्तिकाज़ के रास्ते पर होगा जो मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस‌ अपने पहले मुकम्मल बजट में जारीया माह के आख़िर में मुक़र्रर करेंगे।

इफ़रात-ए-ज़र और बड़े पैमाने पर मआशी इत्तेलाआत भी इस का अहम अंसर होंगी। आर बी आई ने 15 जनवरी को अचानक शरह सूद में 0.25 फ़ीसद कमी का ऐलान किया था। राजन ने कहा कि इस के बाद कोई नई नुमायां तबदीली नहीं हुई है जिस की वजह से माली मौक़िफ़ में मज़ीद नरमी पैदा की जाये।

स्टाक ऐक्स चेंज के बाज़ार में आर बी आई के फ़ैसलों से गिरावट पैदा हुई। बैंक कारों और माहिरीन मआशियात ने उमीद ज़ाहिर की है कि शरह सूद में कमी का ताज़ा दौर बजट के बाद शुरू होगा और 2015 के बाक़ी महीनों में मौजूदा शरह सूद में एक फ़ीसद कमी मुम्किन है। आर बी आई ने उमीद ज़ाहिर की कि बैंक्स ज़्यादा मिक़दार में कम शरह सूद पर क़र्ज़ जारी करेंगे।

इस इक़दाम से उस निज़ाम में 45 हज़ार करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा होसकता है। इमकान है कि शरह सूद में मज़ीद कमी का इन्हिसार मालीयाती ख़सारा में कमी की हुकूमत की कोशिशों और इफ़रात-ए-ज़र के दबाओ का ताय्युन करने पर होगा। मालीयाती पालिसी पर अगली नज़रेसानी 7 अप्रैल को की जाएगी।

छटवें दो माही पालिसी नज़रेसानी पर तबसरा करते हुए बैंक कारों ने कहा कि आर बी आई की पालिसी बाज़ार की जूं का तूं हालत बरक़रार रखने की तवक़्क़ुआत के मुताबिक़ है। इंडस्ट्री चैंबर्स ने कहा कि शरह सूद में तख़फ़ीफ़ की तजवीज़ पेश की जानी चाहिए थी लेकिन उम्मीद ज़ाहिर की कि आर बी आई बजट के बाद शरह सूद में कमी करेगा।

आइन्दा माह तर्कारीयों की क़ीमतों में इज़ाफे का अंदेशा है जिस से इफ़रात-ए-ज़र पर जुज़वी असर मुरत्तिब होगा और काबुल-ए-इस्तेमाल आमदनी में इज़ाफ़ा होगा। इफ़रात-ए-ज़र ईंधन और ग़िज़ाई अजनास के सिवाए दिसम्बर में मुसलसल दूसरे महीने में कम हुआ है।

उसकी बड़ी वजह ट्रांसपोर्ट और तरसील की क़ीमतों में अगस्ट से कमी की। इस से ज़ाहिर होता है कि आलमगीर सतह पर ख़ाम तेल की क़ीमतों में कमी का असर अंदरून-ए-मुल्क मईशत और बहैसियत उमूमी तमाम अशिया की क़ीमतों पर मुरत्तिब होरहा है। करंट एकाऊंट ख़सारा (सी ए डी) एक तख़मीना के बमूजब मार्च में ख़त्म होने वाले मालियाती साल जी डी पी का 1.3 फ़ीसद कम होजाएगा।

उसको एतेदाल पर लाने में पेट्रोल और सोने की एतेदाल पसंद दरआमद है। रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया ने ग़ैर मुल्की ज़र तबादला की सतहें रिकार्ड सतह को छू लेने से हौसला पाकर सालाना बैरून-ए-मुल्क सरमायाकारी की इन्फ़िरादी हद में इज़ाफ़ा करते हुए उसे दो लाख पचास हज़ार अमरीकी डालर कर दिया।

रघूराम राजन ने माली पालिसी पर दो माही नज़रेसानी के सिलसिले में प्रेस कान्फ़्रेंस से ख़िताब करते हुए कहा कि वो बैंकों को शरह सूद कम करने की हिदायत नहीं दे सकते लेकिन उन्हें यक़ीन है कि मुसाबक़त बैंक्स को मजबूर करदेगी कि वो अपनी शरह सूद में अपने तौर पर कमी करदें।