आर बी आई ने आज सहि माही मालियाती पालिसी नज़र-ए-सानी की है जिसकी झलकियां हसब-ए-ज़ैल हैं। * पालिसी शरह, नक़द रक़म के ज़ख़ाइर का तनासुब बरक़रार * पालिसी कार्रवाई के लिए मज़ीद मालूमात का इंतेज़ार * आलमी शरह तरक़्क़ी एतिदाल की सतह पर आने का नज़रिया * माली मंडीयों की तग़य्युर पज़ीरी पर नज़र * सरकारी अख़राजात में कमी का मश्वरा
तात्तुल का शिकार सरमायाकारी के अहया की एहमियत * बुलंद और मुस्तक़िल इफ़रात-ए-ज़र से शरह तबादला ग़ैर मुस्तहकम होने का अंदेशा * तर्कारीयों की क़ीमतों में नुमायां कमी का इद्दिआ * मौजूदा इफ़रात-ए-ज़र बुलंद लेकिन ग़ैर यक़ीनी * आर बी आई मुक़र्ररा पालिसीयों और ग़िज़ाई अजनास की क़ीमतों में मुतवक़्क़े नरमी के मुताबिक़ काम करेगी।