आर बी आई शरह सूद में मज़ीद इज़ाफ़ा

नई दिल्ली।6 सितंबर ( पी टी आई) बैंक की तमाम क़र्ज़ शरहें बढ़ा दी गई हैं। रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया ने मार्च 2010-ए-से अब तक 12 वीं मर्तबा शरह सूद में इज़ाफ़ा किया ही। इफ़रात-ए-ज़र पर क़ाबू पाने के बहाने मज़ीद 25 बुनियादी प्वाईंटस तक इज़ाफ़ा का फ़ैसला किया गया ही। आज के फ़ैसले के बाद मुख़्तसर मुद्दती बारहवीं शरह सूद जिन को बैंक्स आर बी आई से हासिल करते हैं इस की शरह 8.25 फ़ीसद बढ़ा दी गई ही। इस मुख़्तसर मुद्दती क़र्ज़ हुसूल कनुंदा के लिए 7.25 फ़ीसद शरह रखी गई ही। इफ़रात-ए-ज़र की शरह इस साल जुलाई में 9.2 फ़ीसद से माह अगस्त में 9.8 फ़ीसद तक बढ़ी ही। मार्च से अब तक कई मर्तबा आर बी आई शरह सूद में इज़ाफ़ा के बावजूद ग़िज़ाई इफ़रात-ए-ज़र की शरह दो हिन्दसों तक पहुंच गई ही। पालिसी में तबदीलीयों के बावजूद इफ़रात-ए-ज़र की मुतवक़्क़े शरह मुश्किल से हासिल होरही ही। माज़ी की पालिसी कार्यवाईयों का मौजूदा जायज़ा लेकर शरहों में इज़ाफ़ा का फ़ैसला किया ही। वज़ीर फ़ीनानस परनब मुकर्जी ने बताया कि मुझे तवक़्क़ो है कि आर बी आई के इक़दामात मुल्क में इफ़रात-ए-ज़र की सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पाने में मज़ीद मुआविन साबित होंगी। जबकि साल के दूसरे हिस्से में शरह पैदावार में भी बेहतरी मुम्किन ही। बैंक शरह सूद में इज़ाफ़ा पर तबसरा करते हुए इंडियन ओवरसीज़ बैंक चेयरमैन और मनीजिंग डायरैक्टर ऐम नरेंद्र ने कहा कि बैंकों को इस शरह सूद में इज़ाफे़ का बोझ सारिफ़ीन बिलख़सूस सूद के ख़ाहिशमंद अफ़राद पर आइद करना पड़ेगा। इस से फंड्स की लागत में इज़ाफ़ा की ज़रूरत होगी। उन्हों ने कहा कि बैंकों की फ़िलफ़ौर शरह सूद में इज़ाफे़ के बजाय मज़ीद एक माह या उस माह के ख़तन तक इंतिज़ार करना होगा।