आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस

आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस का इफ़्तिताह करते हुए नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने उर्दू के लिए नई राहों की निशानदेही करने के साथ मुल्क के सैकूलर इक़दार और यकजहती के लिए उर्दू सहाफ़त के गिरां क़दर ख़िदमात को ख़राज पेश किया। समाजी-ओ-अख़लाक़ी मसाइल की यकसूई में भी उर्दू सहाफ़त के रोल, हिंदूस्तान के मिले जले माहौल और मुआशरे में अक्सरीयत और अक़ल्लीयत की तकरार से हट कर उर्दू को हर एक की ज़बान बनाने में उर्दू सहाफ़त ने अपने तंज़ीमी नसब उल-ऐन को मल्हूज़ रख कर ख़िदमत अंजाम दी है और आइन्दा भी वो अपनी ख़िदमात का एक सेहत मंदाना और काबिल-ए-क़दर सफ़र जारी रखेगी।

फ़ी ज़माना उर्दू सहाफ़त के लिए नए उभरते चैलेंजस में पहला चैलेंज बिलाशुबा अख़बारात के लिए माहौल में बाअज़ सिफ़ात को क़ायम रखने के लिए तरीक़ा हाय कार वज़ा करना है। दूसरा चैलेंज सनसनी ख़ेज़ी को फैलाने इलेक्ट्रानिक मीडीया के दौर में उर्दू सहाफ़त को अपने संजीदा तजज़िया के एतबार को बरक़रार रखना भी है। जैसा कि आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस के एक और अहम मुक़र्रर गवर्नर आंधरा प्रदेश ई एस एल नरसिम्हन ने उर्दू अख़बारात को सनसनी ख़ेज़ी से गुरेज़ करने का मश्वरा दिया।

उर्दू सहाफ़त के हाल और मुस्तक़बिल को बेहतर बनाने के ताल्लुक़ से अपना नुक़्ता-ए-नज़र पूरी बेबाकी के साथ ब्यान करनेवाली दीगर शख़्सियतों ने बाअज़ ठोस तजावीज़ पेश की जिस में आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस को एक मुक़तदिर आला इदारा बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। ये उर्दू के अज़ीम मुफ़ादात का तक़ाज़ा है कि आज के तमाम उलूम, सयासी तहरीकों, आलमगीरीयत माहौलियात के हवाला से दुनिया भर की यूनीवर्सिटीयों थिंक टैंक से बाज़ाबता इश्तिराक के साथ उर्दू के फ़रोग़ के लिए सरकारी-ओ-नियम सरकारी इदारों के दरमयान बाक़ायदा फ़आल राबिता क़ायम किया जाए।

इस ख़सूस में ये तजवीज़ भी काबिल-ए-ग़ौर है कि हिंद। पाक में सरकारी और ग़ैर सरकारी सतह पर उर्दू के फ़रोग़ के लिए बरसर-ए-कार इदारों में भी बाहमी इश्तिराक-ओ-अमल पैदा किया जाए। उर्दू सहाफ़त को अपनी क़ाबिलीयत सलाहीयत और महारत की बुनियाद पर एक मुनासिब मुक़ाम हासिल है।

इस का माज़ी रोशन था हाल की कैफ़ीयत आप के सामने है और इस के मुस्तक़बिल को रोशन बनाए रखने के लिए जद्द-ओ-जहद जारी रखनी चाहीए। उर्दू सहाफ़त से वाबस्ता अफ़राद, उर्दू के क़ारी में मुताला के ज़ौक़ को फ़रोग़ देने में अहम रोल अदा करें तो आज जहां उर्दू अख़बारात की इशाअत में इज़ाफ़ा हो रहा है मगर इस के क़ारी की तादाद घट रही तो इस बढ़ते फ़र्क़ को रोकने में मदद मिलेगी ।

उर्दू सहाफ़त कुमलक के मौजूदा सयासी हालात और समाजी माहौल में अपने मौक़िफ़ पर क़ायम रहना एक मुश्किल मरहला बनता जा रहा है। जनाब हामिद अंसारी से इस बात की जानिब निशानदेही की कि उर्दू प्रिंट मीडीया को दीगर मसाइल भी दरपेश हैं और ये मसाइल इन्फ़िरादी नौईयत के हैं।

अख़बार की ख़बरें मुस्तनद हूँ और तबसरे बेलाग हूँ तो क़ारी उसे पढ़ने में अपनी दिलचस्पी का इज़हार करेगा उर्दू अख़बारात के ख़रीदारों और इस के क़ारी में पैदा होने वाले फ़र्क़ पर जनाब हामिद अंसारी ने दरुस्त तजज़िया किया है कि मुल़्क की आबादी में मजमूई इज़ाफ़ा के बावजूद कल आबादी में उर्दू बोलने वालों का फ़ीसद क़ाबिल लिहाज़ हद तक घट गया है।

नई नसल को उर्दू का क़ारी बनने से गुरेज़ कररही है इस लिए नौजवानों की दिलचस्पी की हामिल ख़बरें और वाक़ियात की इशाअत के साथ नई नसल में ज़ौक़ मुताला को फ़रोग़ देना वक़्त का तक़ाज़ा बन गया है। उर्दू क़ारी के ज़ौक़ को तश्फ़ी बख़शने और क़ारईन को असरी मसाइल से वाक़िफ़ कराने में उर्दू सहाफ़त को का यदाना किरदार अदा करना ज़रूरी है और ये काम आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस के तवस्सुत से शुरू हो चुका है।

अब उर्दू के बही ख्वाहों की भी ज़िम्मेदारी है कि वो उर्दू मीडीया के बाअज़ मसाइल की यकसूई में अपना भरपूर तआवुन करें। उर्दू सहाफ़त और उर्दू के एक अच्छे अख़बार की ज़िम्मेदारी यही होती है कि वो अवामी तक़ाज़ों को पूरा करने के लिए ख़ुद को हम आहंग करी। आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस और इस के बाद मुनाक़िदा मुख़्तलिफ़ सेमीनारों में उर्दू सहाफ़त के नई नकात पर भी तवज्जा दी गई।

इलेक्ट्रानिक मीडीया के सामने प्रिंट मीडीया की एहमीयत बरक़रार रखने और उसे बुलंद करने के लिए मुख़्तलिफ़ तजावीज़ और मश्वरे भी सामने आए हैं। बाअज़ मुक़र्ररीन ने इंतिहाई हक़ीक़त पसंदाना नुक़्ता-ए-नज़र का इज़हार किया है कि अह्दे हाज़िर मुसाबक़त का दौर है और उर्दू सहाफ़त को आलमगीर सतह पर वुसअत हासिल करने के मवाक़े हासिल हो रहे हैं।

हिंदूस्तान, पाकिस्तान और दीगर मुल्कों में अवामी शोबा में उर्दू को फ़रोग़ देने के मवाक़े पाए जाते हैं। इन मवाकों को उर्दू के लिए मुनफ़अत बख़श बनाने की ज़रूरत है। आलमी उर्दू एडीटरस कान्फ़्रैंस ने हालात के हक़ीक़त पसंदाना तजज़िया के ज़रीया इस बात की निशानदेही की कि मुल्क में बाअज़ ताक़तें उर्दू की नसल कुशी और उर्दू को एक राबिता की ज़बान होने की बुनियादी हक़ से महरूम करदेने की कोशिश की जा रही है।

आम उर्दू क़ारी को इस तल्ख़ हक़ीक़त का अंदाज़ा ना हो मगर उर्दू सहाफ़त से वाबस्ता अहम इदारा जात इस तरह की शिकायात के अज़ाला के लिए बाहमी जद्द-ओ-जहद करें तो उर्दू के हस्सास मसाइल हल करने में मदद मिलेगी। आलमी उर्दू एडीटर्स कान्फ़्रैंस के ज़रीया सारी उर्दू दुनिया में यही पैग़ाम पहूँचा या गया है कि उर्दू एक ज़िंदा और बैन-उल-अक़वामी ज़बान है इस हक़ीक़त के आईना में उर्दू सहाफ़त ने मुसाबक़त की बुनियाद पर मुख़्तलिफ़ शोबों में अपने वजूद को साबित करना शुरू किया है तो इस को मज़ीद वुसअत देने की ज़रूरत है।

इस कान्फ़्रैंस की एहमीयत-ओ-इफ़ादीयत यही थी कि इस में उर्दू और उर्दू सहाफ़त के नाज़ुक और हस्सास मसाइल पर तवज्जा दी गई। यकेबा ये कान्फ़्रैंस उर्दू की मज़लूमियत ख़तन करके इस के मुस्तक़बिल को ताबनाक बनाने में एक अहम संग-ए-मेल साबित होगी।

नया साल

हिंदूस्तान में नया साल भी पुराने साल की ख़राबियों और बदउनवानीयों, नाकामियों का तसलसुल साबित होगा तो ये हुकमरानों, सियासतदानों और ख़ासकर इस मुल्क के अवाम की हद दर्जा क़ुव्वत-ए-बरदाशत का नतीजा समझा जाएगा। साल 2011 ने जमहूरी हुकूमत में करप्शन, स्क़ाम्स और आम आदमी पर होने वाले महंगाई के ज़ुलम-ओ-सितम की एक तल्ख़ कहानी अपने पीछे छोड़ी है। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह भी इस के मोतरिफ़ हैं। उन्हों ने अपने साल नौ के पयाम में रिश्वतखोरी पर तशवीश ज़ाहिर की है।

करप्शन के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाली शख़्सियतों की सारी जद्द-ओ-जहद के बावजूद एक मज़बूत लोक पाल बनाने में कामयाबी नहीं मिली। 2G स्पक्ट्र्म स्क़ाम के ज़रीया मुल्क को 1.76 लाख करोड़ रुपय के ख़सारा से दो-चार करदिया गया। मलिक की आबादी ज़ाइदाज़81 मुलैय्यन अफ़राद से तजावुज़ कर गई है। मर्दुमशुमारी की रिपोर्ट ने बढ़ती आबादी की तल्ख़ सच्चाई ब्यान की है तो इस आबादी के लिए नए साल में कई अशीया की क़ीमतों में इज़ाफ़ा की भी तैयारी कर ली गई है।

आने वाले दिनों में मुल़्क की बेतहाशा बढ़ती आबादी को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी गुज़ारने के लिए दोगुनी सहि ग़नी क़ीमतों के ज़रीया अशीया ख़रीदने पर मजबूर होना पड़ेगा।

बर्क़ी शरहों में इज़ाफ़ा का ऐलान मरे पे सौदर्य के मुतरादिफ़ है। रोज़मर्रा में इस्तिमाल करनेवाली अशीया की क़ीमतों में इज़ाफ़ा की असल वजह उस की पैदावार में कमी है। हुकूमत को बदउनवानीयों या बदउनवानीयों के वाक़ियात से निमटने केलिए अपनी सारी ताक़त और तवज्जा ज़ाए करनी पड़ रही है कि वो मुल़्क की तरक़्क़ी, पैदावार, बेहतर हुक्मरानी की फ़िक्र किस तरह करेगी। मलिक की मुख़्तलिफ़ रियास्तों में तरह तरह के मसाइल हैं। आंधरा प्रदेश में साल 2011 का अहम मसला अलैहदा रियासत तलंगाना की तशकील के लिए जद्द-ओ-जहद और एहतिजाज था। ये मसला नए साल में भी बरक़रार रहने का इमकान है।