आलमी उर्दू ऐडीटरस कान्फ़्रैंस का 26 और 27 नवंबर को हैदराबाद में इनइक़ाद

बैन-उल-अक़वामी उर्दू ऐडीटर्ज़ की शिरकत । 160 साल के दौरान शाय उर्दू अख़बारात की नुमाइश हैदराबाद । 5 नवंबर । ( सियासत न्यूज़ ) मुलक के इन्क़िलाब –ए-आज़ादी में उर्दू अख़बार का अहम किरदार रहा है ।

चुनांचे उर्दू अख़बार दिल्ली के मुदीर मौलवी मुहम्मद बाक़र ने 1857 में लाल क़िला पर अंग्रेज़ों के क़बज़े और बहादुर शाह ज़फ़र को क़ैद करके रंगून में महबूस करदेने पर अपने अख़बार के ज़रीया अंग्रेज़ों को हदफ़ तन्क़ीद बनाया था जिस के नतीजे में इन्क़िलाब आज़ादी की तहरीक में शिद्दत पैदा हुई ।उस की पादाश में मीर मौलवी मुहम्मद बाक़र को तोप से बांध कर तोप दाग़ दी गई ।

इस कान्फ़्रैंस में उर्दू अख़बारात की हमा जिहत कारकर्दगी और गुज़श्ता 160 साल के दौरान सहाफ़ती , लिसानी , तहज़ीबी , तबाअती तबद्दुल-ओ-तग़य्युरात को मंज़र-ए-आम पर लाने की ख़ातिर उर्दू ऐडीटर्ज़ कान्फ़्रैंस के दौरान 26 नवंबर को तक़रीबन 60 क़दीम अख़बारात की नुमाइश मुनाक़िद होगी जिस में दिल्ली उर्दू अख़बार 1851 अख़बार आसफी 1887 , आज़ाद 1900, दबदबा सिकंदरी 1901, अलहलाल 1913 , हमदरद 1922, रहबर दक्कन 1922 , हक़ीक़त 1923 , मदीना , पयाम , सुबह दक्कन 1938 काबिल-ए-ज़िकर हैं ।

उन के इलावा ज़मींदार , प्रताप , मिलाप भी शामिल नुमाइश रहेंगे ।कान्फ़्रैंस के ज़िमन में एक ज़ख़ीम मुजल्ला भी ज़ेर तर्तीब है जो उर्दू सहाफ़त की मुख़्तलिफ़ जिहत पर मशाहीर अहल-ए-क़लम के मक़ालों पर मुश्तमिल होगा ।