आलेर फ़र्ज़ी एनकाउंटर क़ौमी हुक़ूके इंसानी कमीशन से नुमाइंदगी में सियासी क़ियादत नाकाम

मुस्लिम नौजवानों की पुलिस के फ़र्ज़ी एनकाउंटर में हलाकत के सिलसिले में क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन से नुमाइंदगी में मुस्लिम जमातें और तंज़ीमें नाकाम होचुकी हैं।

एसे वक़्त जबकि क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने ख़ुद हैदराबाद पहुंच कर शिकायात की समाअत का एहतेमाम किया और खुली समाअत रखी गई लेकिन इस हस्सास और संगीन मसले पर मुस्लिम क़ाइदीन बेहतर नुमाइंदगी से दूर रहे।

एहतेजाजी बयानात और याददाश्तों की पीशकशी मसले का हल नहीं और इंसानी हुक़ूक़ कमीशन की तरफ से खुली समाअत के बावजूद मौके से इस्तेफ़ादा करने में जमातें और तंज़ीमें नाकाम होगईं।

तहक़ीक़ाती कमीशनों के मुआमले में खुली समाअत में नुमाइंदगी और कमीशन के सवालात‍ ओ‍ एतेराज़ात का जवाब देना एहमीयत का हामिल होता है इसके बरख़िलाफ़ सिर्फ़ याददाश्त की पेशकश या फिर मुलाक़ात करके शिकायती नोट हवाले करना एहमीयत नहीं रखता।

क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन और हाल ही में क़ौमी बैकवर्ड क्लासेस कमीशन की खुली समाअत के दौरान बहुत कम अफ़राद और इदारों ने हिस्सा लिया। कमीशन के उसूल और ज़वाबत के मुताबिक़ वो खुली समाअत में पेश किए गए दलायल और मुबाहिस को एहमीयत देता है जबकि उसे रवाना करदा याददाश्तों और मक्तोबात को ज़्यादा एहमीयत नहीं दी जाती।

समाअत के मौके पर मुस्लिम जमातों और तंज़ीमों की अदमे मौजूदगी ने एनकाउंटर के मसले पर इंसाफ़ के हुसूल और ख़ातियों को सज़ा दिलाने में उनकी अदम दिलचस्पी का सबूत दिया है।

एनकाउंटर के नाम पर एहतेजाजी जलसे और बयानात जारी करनेवाली जमातें और तंज़ीमों में बहुत कम लोग इंसानी हुक़ूक़ कमीशन से रुजू हुए है। खुली समाअत में फ़र्ज़ी एनकाउंटर में हलाक किए गए विक़ार अहमद के वालिद और बाज़ दूसरों ने हिस्सा लेकर अपनी शिकायत के हक़ में बेहस की और कमीशन को ये तस्लीम कराने में कामयाब होगए कि एनकाउंटर पुलिस के मंसूबे का हिस्सा है।