आशीष नंदी की गिरफ्तारी रुकी, बयान पर कोर्ट से झिड़की

नई दिल्ली. जयपुर अदबी कान्फ़्रैंस में पसमांदा तबक़ात – दलितों की बदउनवानी पर तबसरा कर फंसे अदीब आशीष नंदी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ़्तारी पर फ़िलहाल रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने इस मुआमले में मर्कज़ी हुकूमत और राजिस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और छत्तीसगढ़ की रियास्ती हुकूमतों को नोटिस जारी करके उन से जवाबतलब किया है. इन रियास्तों में आशीष नंदी के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए हैं.

आशीष नंदी ने अदालत से अपने ख़िलाफ़ चार शहरों में दर्ज मुक़द्दमात को ख़त्म करने का मांग‌ किया है. नंदी के ख़िलाफ़ जयपुर, जोधपुर, नासिक और पटना में एफ़ आई आर दर्ज कराई गई हैं. नंदी चाहते थे कि उन की गिरफ़्तारी पर फ़ोरी पाबंदी लगाई जाये. सुप्रीम कोर्ट ने नंदी की जल्द समाअत की दरख़ास्त पहले ही क़बूल कर ली. नंदी के वकील अमन लेखी के मुताबिक़ आप बयान से इत्तिफ़ाक़ या इख़तिलाफ़ हो सकते हैं, लेकिन किसी को थाने में नहीं घसीट सकते.

कोर्ट ने नंदी को राहत देने के साथ – साथ उनके बयान पर सख़्त एतराज़ भी किया है. कोर्ट ने कहा कि इज़हार की आज़ादी का मतलब ये नहीं है कि आप कुछ भी कह दें. आप की मंशा चाहे जो भी हो आप को इस तरह का बयान नहीं दे सकते.

मालूम हो कि आशीष नंदी ने पहले ही अपनी सफ़ाई में कहा था कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. वो दरअसल दलितों के मुफ़ाद की बात कर रहे थे, लेकिन इसे दलित मुख़ालिफ़ समझ लिया गया. नंदी के ख़िलाफ़ एस सी ‍ एस टी ऐक्ट की जिन दफ़आत के तहत मुक़द्दमा दर्ज किया गया है, इस में उन्हें दस साल तक की सज़ा हो सकती है.