आसाम, बोपन्ना के साथ ग्रांड सलाम के ख़ाहिश‌

पाकिस्तानी टेनिस स्टार आसामुल-हक़ कुरैशी और उनके हिंदुस्तानी साथी खिलाड़ी रोहन बोपन्ना की जोड़ी दो साल बाद दुबारा इकट्ठी हुई है और ये दोनों जीत का सिलसिला वहीं से शुरू करना चाहते हैं जहां से उन्होंने छोड़ा था।

इन दो सालों के दौरान रोहन बोपन्ना ने कई पार्टनर्स तबदील किए जबकि आसामुल-हक़ ने हॉलैंड के जूलियन राजर्स के साथ मुक़ाबलों में हिस्सा लिया। इस साल आसामुल-हक़ और रोहन बोपन्ना के नताइज मिले जुले रहे हैं। दोनों ने दुबई ओपन जीतने के साथ साथ सिडनी का फाईनल खेला है तो दूसरी जानिब चंद ईवंटस के पहले और दूसरे राउंड में हार‌ भी इनका मुक़द्दर बनी।

आसामुल-हक़ अपने पुराने दोस्त के साथ ग्रांड सलाम डबल्स‌ ख़िताब जीतने की ख़ाहिश को हक़ीक़त का रूप देने के आर्ज़ूमंद हैं। और साथ ही वो साल भर की उम्दा कारकर्दगी का सिला ए टी पी वर्ल्ड टूर फाइनल्स तक रसाई की सूरत में भी देखना चाहते हैं। आसामुल-हक़ ने इज़हार ख़्याल करते हुए कहा कि रवां साल अब तक उन्हें सख़्त मुक़ाबलों का सामना रहा है।

उस वक़्त दर्जा बंदी में हमारा मुक़ाम 8 है और सफ़ अव्वल के खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ हमारे मैच बहुत ही सख़्त रहे हैं। अटालियन ओपन में बदक़िस्मती से हमारा मुक़ाबला ब्राइन बिरादर्स से दूसरे ही राउंड में होगया। लेकिन तवक़्क़ो है कि फ़्रेंच ओपन और विंबलडन में हमें सीडिंग मिल जाएगी जिस के सबब हमारा ब्राइन बिरादर्स और दूसरे सफ़ अव्वल के खिलाड़ियों से सामना इबतिदाई मरहले में नहीं होगा।

आसामुल-हक़ ने मज़ीद कहा है कि जितना अर्सा भी वो रोहन बोपन्ना से अलग रह कर खेले उन्होंने बहुत कुछ सीखा। जब आप मुख़्तलिफ़ खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं तो कुछ ना कुछ ज़रूर सीखते हैं। मुझ में जो खामियां थीं मैंने दूर करने की कोशिश की हैं। हम दोनों में ज़्यादा पुख़्तगी आई है और तजुर्बा भी मिला है।

आसामुल-हक़ के मुताबिक‌ ग्रांड सलाम जीतने की लगन उन्हें आगे बढ़ने में मदद दे रही है। जब हम ने 2010 में यू एस ओपन का फाईनल खेला तो लोग उसे इत्तिफ़ाक़ समझते थे। लेकिन हम ने अपनी कारकर्दगी से ये साबित किया है कि ये इत्तिफ़ाक़ नहीं था। मेरा अब भी यही मक़सद है कि अपने कैरियर का पहला ग्रांड सलाम जीतूं।

मुझे अपनी सलाहियतों का अच्छी तरह पता है कि में ग्रांड सलाम ख़िताब हासिल करसकता हूँ। आसामुल-हक़ इस बात से इत्तिफ़ाक़ करते हैं कि या तो वो फाईनल में जा पहुंचते हैं या फिर पहले ही राउंड से बाहर होजाते हैं। इस मसले पर क़ाबू करने की हम दोनों कोशिश कर रहे हैं।

अभी इस में कमी आई है। 2010 और 2011 में ऐसा कई मर्तबा हुआ था लेकिन अब सूरत-ए-हाल ख़ासी मुश्किल है क्योंकि डबल्स‌ के क़वानीन में बड़ी तबदीली आगई है और हम दोनों ज़्यादा तर मैचस‌ सख़्त मुक़ाबले के बाद सुपर टाई ब्रेकर में हारे हैं। लेकिन अभी साल ख़त्म नहीं हुआ है कई मुक़ाबले बाक़ी हैं और मुझे यक़ीन है कि हम इस साल भी अच्छे नताइज देंगे|