मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम ने आसाम को मुल्क की सब से ज़्यादा पेचीदा रियासत क़रार दिया क्योंकि यहां मुख़्तलिफ़ ग्रुप्स बस्ते हैं । उन्होंने नसली तशद्दुद (दंगे) से निमटने के लिए ख़ातिरख़वाह पुलिस फ़ोर्स ना होने का भी एतराफ़ किया। उन्होंने अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि रियासत में गै़रक़ानूनी नक़ल मुक़ाम करने वालों की तादाद में नुमायां कमी आई है ।
इस रियासत की सरहद बंगला देश से मिलती है । उन्हों ने कहा कि आसाम की सरहद एक मुश्किल सरहद है । इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बंगला देश से गै़रक़ानूनी नक़ल मुक़ाम नहीं हो रहा है लेकिन इस की तादाद में नुमायां कमी आई है ।
चिदम़्बरम ने कहा कि इबतदा ( शुरू) में किसी ने भी ये अंदाज़ा नहीं किया था कि झड़पें इस क़दर तेज़ी से फैल जाएंगी और सूरत-ए-हाल अबतर होगी लेकिन हम ने फ़ौरी फ़ौज को तलब करते हुए मोअस्सर इंतिज़ामात किए । चिदम़्बरम ने कहा कि मर्कज़ी हुकूमत इस मुआमला में आसाम हुकूमत के साथ है । रियासत में मुसल्लह ग्रुप्स की मौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर चिदम़्बरम ने कहा कि अब भी दहशतगर्द ग्रुप्स मौजूद हैं जो क़ौमी धारे में शामिल नहीं हुए और तशद्दुद का रास्ता इख़तियार किए हुए हैं । चीफ़ मिनिस्टर आसाम तरूण गोगोई भी रीलीफ़ कैंपस और तशद्दुद ( दंगे) से मुतास्सिरा ( प्रभावित) इलाक़ों के दौरा के मौक़ा पर चिदम़्बरम के हमराह थे । उन्होंने कहा कि तशद्दुद को भड़काने में अफ़्वाहों का नुमायां असर रहा ।