जोधपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा आसाराम दुष्कर्म और यौन शोषण को पाप नहीं मानता था। ये बात अभियोजन पक्ष के गवाह राहुल के सच्चर ने अदालत को फैसले के दिन बताई। उसने कहा कि आसाराम मानता था कि उस जैसे ब्रह्मज्ञानी के लिए बलात्कार करना पाप नहीं है। राहुल आसाराम का करीबी था और उसे उसकी कुटिया तक जाने की इजाजत भी मिली हुई थी। उसने बताया कि आसाराम यौनशक्ति बढ़ाने के लिए दवाएं लेता था।
राहुल ने बयान में कहा, “2003 में आसाराम को उसके राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के आश्रमों में युवतियों का यौन शोषण करते हुए देखा था। आसाराम आश्रम की लड़कियों का यौन शोषण करने के लिए तीन सेविकाओं की मदद लेता था। इन्हीं सेविकाओं को वो टॉर्च की लाइट दिखाकर चुनी हुई लड़कियों को कुटिया में भेजने का संकेत देता था। आसाराम अपनी सहयोगियों के साथ पूरे आश्रम में घूमता था और लड़कियां चुनता था।”
राहुल ने बताया, “अहमदाबाद आश्रम में मैंने बापू को एक लड़की का यौनशोषण करते हुए देखा था। मैंने खत लिखकर उससे सवाल किया- लड़की के साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? मैंने ये चिट्ठी रसोइये के जरिए पहुंचवाई। बापू ने खत पढ़ा, लेकिन इसे नजरंदाज कर दिया। मैंने दूसरी चिट्ठी लिखी। इस पर भी जवाब नहीं दिया। इसके बाद मैं जबरदस्ती कुटिया में घुस गया और बापू से पूछा कि ऐसा क्यों कर रहे हैं? बापू सवाल पर चुप रहे। फिर उन्होंने कहा कि मेरे जैसे ब्रह्मज्ञानी को ये सब करने से पाप नहीं लगता। मैंने दूसरा सवाल पूछा कि ब्रह्मज्ञानी में इस तरह की इच्छाएं कैसे पैदा होंगी? इसके बाद बापू चुपचाप कुटिया में चले गए और अपने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि मुझे बाहर फेंक दें।”
“बापू को अफीम पीने की आदत थी, वो अपनी यौनशक्ति बढ़ाने के लिए भी दवाएं लेता था। अफीम के लिए उसका कोडवर्ड पंचेड़ बूटी था। बाबा के साथ जो तीन सेविकाएं रहती थीं, वो बाबा का शिकार हुई लड़कियों का गर्भपात करवाने में भी शामिल थीं।”
– बाबा का आश्रम छोड़ने के बाद राहुल पर 2004 में हमला हुआ था। इसकी शिकायत उसने पुलिस में दर्ज करवाई थी। इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद आसाराम केस में गवाही देने के बाद भी उस पर हमला किया गया था।
नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम (77) को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने कहा था कि आसाराम को बाकी बची जिंदगी जेल में ही काटनी होगी। उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी 20-20 सजा की सजा हुई।
– फैसला सुनाते हुए विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने कहा- “आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। दोषी ने ना सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।’’ आसाराम कोर्ट रूम में सजा सुनकर रोने लगा। फिर कहा, ‘‘जैसी ऊपर वाले की मर्जी। हम यहीं (जेल में) रहेंगे।’