आख़िरी मुग़ल ताजदार बहादुर शाह ज़फ़र की 150 वीं बरसी पर उर्दू हेरीटेज फेस्टीवल

नई दिल्ली, ०९ नवंबर (पीटीआई) एक क़लम के साइज़ वाले रिकार्डर पर ही पूरे क़ुरआन मजीद की रिकार्डिंग के इलावा मौलाना आज़ाद मिर्ज़ा ग़ालिब और राविंद्र नाथ टैगोर की तख़लीक़ात उर्दू हेरीटेज फेस्टीवल के दौरान विज़ीटर्स की तवज्जा का मर्कज़ ( केंद्र) बनी हुई हैं ।

चार रोज़ा फेस्टीवल जो हुकूमत दिल्ली के महिकमा सक़ाफ़्त और लिसानियात की जानिब से मुनज़्ज़म (संगठित) किया गया है जो दरअसल आख़िरी मुग़ल ताजदार बहादुरशाह ज़फ़र की 150 वीं बरसी के मौक़ा पर लाल क़िला में मुनाक़िद ( आयोजित) किया गया है ।

किताब मेला की एक ख़ुसूसीयत पेन क़ुरआन है जिस में पूरे क़ुरआन मजीद की रिकार्डिंग मौजूद है । इस मेला का इफ़्तिताह (उद्वघाटन) साबिक़ चीफ़ इलेक्शन कमिशनर एस वाई क़ुरैशी के हाथों अमल में आया जिस में इंडियन कौंसल आफ़ हिस्टारीकल रिसर्च ग़ालिब इंस्टीटियूट ग़ालिब एकेडमी और साहित्य एकेडमी की जानिब से स्टालस लगाए गए हैं और इस तरह हर उम्र के लोगों के लिए उर्दू हिन्दी और अंग्रेज़ी में सैंकड़ों किताबें दस्तयाब ( मौजूद) हैं ।

टैगोर का गोरा मौलाना आज़ाद का तर्जुमान अल-क़ुरआन और फ़िराक़ गोरखपुरी की पिछली रात के इलावा ग़ालिब की तख़लीक़ात और मुग़ल शहज़ादे-ओ-अराशकोह और दीगर मुसन्निफ़ीन (लेखको) की किताबें भी मेला का हिस्सा हैं ।

इस मौक़ा पर मशहूर बहू गुना ऐंड पार्टी की जानिब से उर्दू तराना पेश किया गया जिस के बाद शाम ए ग़ज़ल में पाकिस्तानी गुलूकार शफ़क़त अमानत अली ने वहां मौजूद सामईन को महज़ूज़ किया । यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि उर्दू के फ़रोग़ (तरक्की) के लिए इस नौईयत के किताब मेलों का इनइक़ाद बेहद ज़रूरी है ताकि हिन्दी और अंग्रेज़ी वालों को भी उर्दू ज़बान की मक़बूलियत का अंदाज़ा हो सके ।

उर्दू किताब मेले मुंबई हैदराबाद और दीगर (अन्य) शहरों में मुनाक़िद हो चुके हैं लेकिन उर्दू हेरीटेज फेस्टीवल के ज़रीया उर्दू की बेशबहा ( बहुमूल्य) ख़िदमत अंजाम दी जा सकती है ।