आज़ाद और ख़ुदमुख़तार ममलकत फ़लस्तीन की हिमायत

वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने हफ़्ता को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असैंबली इजलास से ख़िताब किया । डाक्टर मनमोहन सिंह ने अपने ख़िताब में आज़ाद और ख़ुदमुख़तार ममलकत फ़लस्तीन की हिमायत की और उन्हों ने ख़लीजी ममालिक में क़ायम हुकूमतों को बेदखल करने अमरीका की ज़ेर क़ियादत मग़रिबी ममालिक और नाटो की जानिब से ताक़त के इस्तिमाल को भी तन्क़ीद का निशाना बनाया । डाक्टर सिंह ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जैसे आलमी इदारा में इस्लाहात लाने और अहल ममालिक को और खासतौर पर हिंदूस्तान को सलामती कौंसल की मुस्तक़िल रुकनीयत देने की परज़ोर वकालत की है । उन्हों ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जैसे इदारे को दुनिया के तमाम तबक़ात की ज़रूरीयात की तकमील का ज़रीया बनाने और अमीर-ओ-ग़रीब के फ़र्क़ को ख़तन करने जैसे मक़ासिद केलिए इस्तिमाल करने पर ज़ोर दिया है । डाक्टर मनमोहन सिंह ने अपने इस दौरा के मौक़ा पर कई आलमी क़ाइदीन से मुलाक़ातें की हैं और बाहमी-ओ-बैन-उल-अक़वामी उमूर पर तबादला-ए-ख़्याल किया है । उन की मुलाक़ातों में एहमीयत की हामिल मुलाक़ात ईरान के सदर महमूद अहमदी नज़ाद से रही जिस में दोनों ममालिक ने बाहमी ताल्लुक़ात को मुस्तहकम करने और उन को मज़ीद आगे बढ़ाने के इलावा अफ़्ग़ानिस्तान की सूरत-ए-हाल पर खासतौर पर ग़ौर किया । दोनों ही ममालिक ने इस ख़्याल का इज़हार किया कि अफ़्ग़ानिस्तान में क़ायम होने वाली कोई भी हुकूमत सिर्फ अफ़्ग़ानियों की होनी चाहीए और अफ़्ग़ान अवाम को अपने मलिक के ताल्लुक़ से किसी भी फ़ैसला का मुकम्मल और क़तई इख़तियार होना चाहीए । डाक्टर सिंह ने अपनी तक़रीर में जहां फ़लस्तीन को आज़ाद और ख़ुदमुख़तार रियासत के तौर पर क़बूल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है वहीं उन्हों ने ये एतराफ़ भी किया कि इसी मसला की बरक़रारी की वजह से इलाक़ा में तशद्दुद जारी है और यहां अमन क़ायम नहीं किया जा रहा है । उन्हों ने ममलकत फ़लस्तीन के क़ियाम की अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की कोशिशों की सताइश करते हुए इसे वक़्त की अहम ज़रूरत क़रार दिया है । वैसे तो हिंदूस्तान हमेशा ही से फ़लस्तीनीयों की जद्द-ओ-जहद की हिमायत करता रहा है और फ़लस्तीन को आज़ाद रियासत का दर्जा देने का हामी रहा है ताहम अमरीका के साथ उस की क़ुर्बतों और दोस्ती-ओ-ताल्लुक़ात में इस्तिहकाम के बाद जनरल असैंबली से डाक्टर सिंह का ख़िताब एहमीयत का हामिल है । उन्हों ने हिंदूस्तान के मौक़िफ़ की वज़ाहत करने में अमरीका के साथ ताल्लुक़ात को नज़र में रखते हुए किसी मस्लिहत से काम नहीं लिया है। डाक्टर मनमोहन सिंह ने अमरीका और दीगर योरोपी ममालिक पर ये भी वाज़िह करदिया कि वो जिस तरह से अरब ममालिक के उमूर में मुदाख़िलत कर रहे हैं वो भी मुनासिब नहीं है । किसी भी बैरूनी मुल़्क की हुकूमत को बेदखल करने केलिए ताक़त का इस्तिमाल जायज़ नहीं होसकता और ना इस का कोई जवाज़ होसकता है । हालिया महीनों में कई अरब ममालिक में अमरीका और इस के इत्तिहादी ममालिक की जानिब से आज़ादी और जमहूरीयत के नाम पर हुकूमतों का तख़्ता उल्टने की कोशिश की गई है । सब से पहले तीवनस के सदर ज़ीन इला बदीन बिन अली को अवामी बग़ावत की वजह से मुल्क से फ़रार होना पड़ा । इस के बाद मिस्र के सदर की हैसियत से हसनी मुबारक मुस्ताफ़ी होगए । अब लीबिया के सदर कर्नल क़ज़ाफ़ी अपने ही मुल्क में लापता क़रार दिए जा रहे हैं। इन के बेशतर ठिकानों पर बाग़ीयों ने क़बज़ा करलिया है । इन बाग़ीयों को नाटो की मुकम्मल फ़ौजी मदद हासिल है जिस की मदद से वहां क़ज़ाफ़ी का तख़्ता उल्टने का दावे किया जा रहा है । अब अमरीका शाम और यमन पर भी नज़रें लगाए बैठा है । शाम के सदर बशर अलासद पर वाज़िह करदिया गयाहै कि वो अवामी बग़ावत की लहर को देखते हुए सदारत से मुस्ताफ़ी होजाएं क्योंकि यही एक वाहिद रास्ता रह गया है । यमन के सदर अली अबदुल्लाह सालिह एक हमला में ज़ख़मी होकर सऊदी अरब चले गए थे । तक़रीबन दो माह तक वतन से दूर रहने के बाद वो अब दुबारा यमन वापिस होचुके हैं । ये सारे हालात अमरीका और इस के इत्तिहादी ममालिक की ईमा पर पैदा हुए हैं और डाक्टर मनमोहन सिंह ने अपने ख़िताब में वाज़िह किया कि इस तरह की कोशिशें दरुस्त नहीं होसकतीं और किसी भी मलिक को किसी और मलिक के दाख़िली मुआमलात में मुदाख़िलत का कोई हक़ नहीं होना चाहीए । मनमोहन सिंह की ये तक़रीर अरब दुनिया और फ़लस्तीन के ताल्लुक़ से हिंदूस्तान के हक़ीक़ी मौक़िफ़ को वाज़िह करती है और अमरीका को ये एहसास होजाना चाहीए कि इस से ताल्लुक़ात में इस्तिहकाम और हिक्मत-ए-अमली शराकतदारी के बावजूद उसूली मौक़िफ़ से हिंदूस्तान ने इन्हिराफ़ नहीं किया है और फ़लस्तीनीयों की जद्द-ओ-जहद की कामिल ताईद की है । जहां तक हिंदूस्तान को सलामती कौंसल में मुस्तक़िल रुकनीयत देने की बात है इस राह में भी अमरीका ही रुकावट बना हुआ है और वो इस इदारा में इस्लाहात के अमल को मुम्किना हद तक ताख़ीर का शिकार कर रहा है । हिंदूस्तान अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल की मुस्तक़िल रुकनीयत का हक़ीक़ी हक़दार है और उसे ये रुकनीयत हासिल होनी चाहीए जिस से आलमी उमूर में हिंदूस्तान की राय की एहमीयत बढ़ जाएगी। बहैसीयत मजमूई डाक्टर मनमोहन सिंह ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल इजलास में जो तक़रीर की है वो सारे हिंदूस्तानियों की तर्जुमान रही है और ये बिलकुल वाजिबी और अमरीका के दबाव को तस्लीम किए बगै़र की गई है तक़रीर है । इस तक़रीर के ज़रीया जहां मलिक के मौक़िफ़ की वज़ाहत हुई है वहीं अमरीका को भी एक वाज़िह इशारा दिया जा सका है ।