अगस्त 2012 में आज़ाद मैदान में फूट पड़ने वाले फ़सादात को हुकूमत नजरअंदाज़ नहीं करसकती क्योंकि इस दौरान सरकारी इमलाक को शदीद तौर पर निशाना बनाया गया था।
लिहाज़ा बॉम्बे हाइकोर्ट ने आज हुकूमत से ये जानने की ख़ाहिश की कि क्या सरकारी इमलाक और वहां मौजूद लोगों को पहुंचने वाले नुक़्सानात की भरपाई के लिए हुकूमत ने कोई रक़म मुकरर की है। जस्टिस एन एच पाटिल और अनोजा प्रभु देसाई पर मुश्तमिल एक डीवीझ़न बेंच जो मफ़ाद-ए-आम्मा की एक दरख़ास्त की समाअत कररही है।
जो संकेत शतोपे नामी एक शख़्स ने दाख़िल की है जहां अदालत से ख़ाहिश की गई कि वो हुकूमत को हिदायत करे कि मुंबई में अगस्त 2012 के दौरान फूट पड़ने वाले फ़सादात में सरकारी इमलाक और अवाम को पहुंचने वाले नुक़्सानात का तख़मीना लगाते हुए रक़म का ताय्युन करे और रैली के मुंतज़मीन से वो रक़म वसूल की जाये।
ऐडीशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर अरूना कामत पाई ने अदालत को मतला किया कि कलेक्टर के दफ़्तर ने सरकारी इमलाक के नुक़्सान का तख़मीना 2.75 करोड़ रुपये लगाया है। कलेक्टर के दफ़्तर की जानिब से 70 मुल्ज़िमीन और 964 गवाहों के बारे में तहक़ीक़ात की जा रही है।