पापए रोम बेनेडिक्ट (Pope Benedict) शाँज़ दहम ने आख़िर कार इंजील मुक़द्दस का वो नायाब नुस्ख़ा मुआइने के लिए मंगवा ही लिया जिसमें माबाद हज़रत ईसा ( अ०स्०) ख़ुद इन्ही की ज़ुबानी हज़रत मुहम्मद (स०अ०व) के ज़हूर की बशारत दी गई है। ये नादिर-ओ-नायाब नुस्ख़ा 1500 क़ब्ल मसीह का बताया जाता है।
बर्तानवी अख़बार डेली मेल के मुताबिक़ क़दीम ए रामी ज़बान में इंजील का ये नुस्ख़ा आज से बारह साल क़ब्ल दरयाफ्त किया गया था जो अभी तक ईसाईयों के मज़हबी मर्कज़ वटीकेन में मौज़ू बहस रहा ताहम उसे मंज़रे आम पर नहीं लाया गया था। ए रामी ज़ुबान में तहरीर कर्दा इस इनजीली नुस्खे़ में लिखा है कि एक दफ़ा एक काहिन ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से अपने बाद आने वाले नबी के बारे में दरयाफ्त किया तो उन्होंने जवाब में फ़रमाया था कि इसका नाम मुहम्मद (स्०अ०व) होगा और वो बरकत वाला नाम होगा।
अल अरबिया डाट नेट के बमूजब तर्क वज़ीर सक़ाफ़त-ओ-सयाहत ने इस नादर-ओ-नायाब मुक़द्दस नुस्खे़ की क़ीमत 22 मिलीयन डालर बताई है और् ये नादर नुस्ख़ा ज़िल्द पर सुनहरी हुरूफ़ ( हर्फ) में लिखा गया है जिसकी क़ीमत 24 मिलीयन डालर बताई जाती है। तर्क वज़ीर सक़ाफ़त-ओ-सयाहत के हवाले से कहा गया है कि इस नादिर-ओ-नायाब मुक़द्दस नुस्खे़ को किलीसाओं और पादरीयों ने मोबय्यना तौर पर इसलिए पोशीदा रखा था कि इसमें ब्यान कर्दा पेश गोईआं कुरआन ए करीम में ब्यान कर्दा हक़ायक़ से काफ़ी हद तक मुमासिलत रखती हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक़ क़दीम तरीन इंजीली नुस्खे़ की इबारात और इसकी पेशे गोईआं इस्लाम के अक़ीदा नबुव्वत के ऐन मुताबिक़ हैं। इस नुस्खे़ में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बाद हज़रत मुहम्मद (स०अ०व०) की नबुव्वत की ख़ुशख़बरी सुनाई गई है। तर्क वज़ीर के मुताबिक़ इंजील के इस नायाब नुस्खे़ को 2000 में बहर ए मुतवस्सित के क़रीब एक इलाक़े में छिपा दिया गया था।
अब भी ये नुस्ख़ा तर्क हुकूमत ही के क़ब्ज़े में है। बारह साल क़ब्ल ये नुस्ख़ा दरयाफ्त होने के कुछ ही अर्से बाद गुम हो गया था। कहा गया था कि आसारे-ए-क़दीमा के स्मगलरों ने इसका सरका कर लिया है। तुर्की में एक ईसाई मज़हबी रहनुमा एहसान अज़बक ने तर्क अख़बार ज़मान को बताया कि इंजील मुक़द्दस का ये नायाब नुस्ख़ा हज़रत ईसा (अ०स०) के इन बारह साथीयों के, जिन्हें क़दीस बरनाबा के नाम से जाना जाता है, पैरोकारों के दौर में पांचवें या छठी सदी का है क्योंकि क़दीस बरनाबा पहली सदी ईसवी में मौजूद थे। अनक़रा में इल्म लाहूत के माहिर प्रोफेसर उमर फ़ारूक़ हर्मान ने बताया कि मख़तूते की इल्मी जांच परख से इसकी सही उम्र के ताय्युन में मदद मिलेगी और मालूम हो सकेगा कि ये या इसके राक़िम क़दीस बरनाबा थे या उनके किसी पैरोकार ने उसे रक़म किया था।