एम्स में होगा सोशल मीडिया और इंटरनेट की लत का इलाज

दिल्ली : नौजवानों और टीन एजर्स में इंटरनेट का लत देखि जा सकती है। जिसकी वजह से उन्हें समय पर नींद न आना डिप्रेशन भूख न लगना वगैरह तरह-तरह की बीमारी हो जाती है। ऐसे लोगों के लिए दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स में इंटरनेट एडिक्ट्स यानी जिन्हें इंटरनेट की लत हो उनके लिए एक विशेष मनोरोग संबंधी ओपीडी की शुरूआत की गई है. इसमें उन लोगों का इलाज होगा जिसमें सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम्स या फिर इंटरनेट की लत है. डॉक्टरों का कहना है कि स्कूल कॉलेज के छात्रों में इसकी लत की शिकायतें हैं जिनसे गंभीर मनोरोग की समस्याएं पैदा हो रही हैं .

एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इंटरनेट व स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल का असर लोगों के व्यवहार पर दिखने लगा है। विशेषकर बच्चे और कॉलेजों में पढ़ने वाले युवा ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वे इंटरनेट, मोबाइल व ऑनलाइन गेम की लत से पीड़ित हो रहे हैं। इससे सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हाल के समय में यह समस्या बढ़ी है। यही वजह है कि मनोचिकित्सा विभाग हर शनिवार को विशेष क्लीनिक चलाएगा। जहां सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक सिर्फ मोबाइल व इंटरनेट के इस्तेमाल के चलते मानसिक रूप से प्रभावित मरीजों का इलाज किया जाएगा। एम्स प्रशासन द्वारा मनोचिकित्सा विभाग को स्वीकृति मिलने के बाद पिछले शनिवार से विशेष क्लीनिक शुरू कर दिया गया है।

विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा कहते हैं कि कई माता-पिता ऐसी शिकायत लेकर पहुंचते हैं कि इंटरनेट व मोबाइल पर चैटिंग व गेम खेलने के चलते बच्चों को पढ़ाई में मन नहीं लगाते। वे आठ से नौ घंटे इंटरनेट पर समय बिताते हैं। इस वजह से उनका रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा है। मोबाइल छीन लेने पर बच्चे गुस्सा करते हैं और माता-पिता से कहासुनी करने पर उतारू हो जाते हैं। इंटरनेट पर अधिक समय बिताने के चलते धीरे-धीरे मानसिक तनाव शुरू हो जाता है।

यह देखा गया है कि इंटरनेट व मोबाइल पर घंटों समय बिताने वाले लोग अल्कोहल और तंबाकू का नशा भी ज्यादा करते हैं। उन्होंने कहा कि अब मोबाइल पर 3जी और 4जी नेटवर्क की सुविधा मिलने लगी है। इससे मोबाइल पर भी इंटरनेट तेज चलने लगा है। इस वजह से मोबाइल पर ऑनलाइन गेम आसान हो गया है और इसका चलन बढ़ रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में इससे जुड़ी मानसिक बीमारियां और ज्यादा बढ़ेगी। यही वजह है कि यह क्लीनिक शुरू किया गया है। ताकि मनोचिकित्सा के जरिए इलाज किया जा सके।