इंटरनेट से कुतुब ( किताबें) बीनी के रुजहान में कमी

इंटरनेट की वजह से मुआशरे में कुतुब बीनी का रुजहान कम होने लगा है। टी वी रिपोर्ट के मुताबिक़ कुतुब बीनी की बजाय इंटरनेट ने ले ली है और अब वो दिन गए जब किताबों के शौक़ीन कुतुब ( किताबें) ख़रीदने के लिए दुकानों और बाज़ारों का रुख करते थे और अपनी पसंद की किताबें ख़रीद कर लाते थे क्योंकि अब इंटरनेट पर नई और पुरानी तमाम किताबें आसानी के साथ दस्तयाब हैं।

उसे लोग ज़्यादा पसंद करते हैं कि वो अपना वक़्त और रक़म ज़ाए ना करें, किताबों के शौक़ीन हमेशा अच्छी किताब की तलाश में रहते हैं, उन्हें हमेशा हर जगह अच्छी और दिलचस्प किताब पढ़ने का शौक़ होता है लेकिन बदक़िस्मती से किताबों की क़ीमतों में बेपनाह इज़ाफे़ से किताबें ख़रीदने के रुजहान में कमी आती जा रही है और माज़ी के मुक़ाबले में अब कुतुबफ़रोश दुकानों पर कुतुब बीनों की तादाद में कमी रिकार्ड की गई है।

मशहूर कहावत है कि किताब एक अच्छा दोस्त होती है कुतुब बीनी के रुजहान में कमी के असरात पढ़े लिखे और तरक़्क़ी पसंद मुआशरे के लिए नुक़्सानदेह हैं। मुआशरे में मुसबत बेहतर अंदाज़ सोच और बर्दाश्त को फ़रोग़ देने के लिए ज़रूरी है कि मयारी कुतुब कम क़ीमत पर फ़रोख्त करने की रिवायत को दुबारा क़ायम किया जाये।