इंडियन ओलम्पिक एसोसीएसन हुकूमती मुदाख़िलत पर मुअत्तल

नई दिल्ली, 05 दिसंबर (पीटीआई) हिंदूस्तान के लिए एक बड़ी उलझन के तौर पर इंटरनैशनल ओलम्पिक कमेटी ने आज इंडियन ओलम्पिक एसोसीएसन को इसके इंतिख़ाबी अमल में हुकूमती मुदाख़िलत की वजह से मुअत्तल कर दिया, जो ऐसी तबदीली है जिससे मुल्क की ओलम्पिक शिरकत पर पाबंदी आइद हो जाती है।

हिंदूस्तान का अल-हाक़ ख़त्म करने का फैसला आई ओ सी की इग्जीक्यूटिव बोर्ड मीटिंग के पहले रोज़ किया गया, एसोसीएटेड प्रेस ने लोज़ान से दो आला ओहदेदारों के हवाला से ये इत्तिला दी , जिन्होंने शनाख़्त मख़फ़ी रखने की ख़ाहिश की। इस फैसला की बड़ी हद तक तवक़्क़ो हो चली थी क्योंकि आई ओ ए ने कल मुनाक़िद होने वाले इंतिख़ाबात हुकूमत के स्पोर्टस कोड के तहत ही अंजाम देने का फैसला किया था, जिससे आई ओ सी की हिदायत की ख़िलाफ़वर्ज़ी होती है कि चायना ओलम्पिक चार्टर के तहत मुनाक़िद किए जाएं।

आई ओ सी ने बार बार आई ओ ए से कहा था कि इंतिख़ाबात के लिए हुकूमत के स्पोर्टस कोड की इस बुनियाद पर तामील ना की जाए कि इस से ओलम्पिक चार्टर की ख़िलाफ़वर्ज़ी और ख़ुदमुख़तारी पर मुफ़ाहमत होगी। लेकिन आई ओ ए ने अपने तए शूदा फैसले पर आगे बढ़ते हुए कहा कि वो दिल्ली हाइकोर्ट के हुक्मनामे के पाबंद हैं।

इस मुअत्तली का मतलब है कि आई ओ ए को आई ओ सी के फंड्स हासिल होना रुक जाएंगे और इसके ओहदेदारों पर ओलम्पिक मीटिंग्स और ईवंटस में शिरकत के लिए इम्तिना आइद रहेगा। हिंदूस्तान के एथलीट्स अपने क़ौमी पर्चम के तहत ओलम्पिक ईवंटस में मुसाबक़त से क़ासिर रहेंगे लेकिन वो आई ओ सी बैनर के तहत हिस्सा ले सकते हैं।

मुअत्तली की ख़बर पर ग़म-ओ-ग़ुस्सा का इज़हार हुआ है जैसा कि स्पोर्टस पर्सन्स और आई ओ ए ओहदेदारों ने इस फैसला के दूर रस असरात के ताल्लुक़ से अपने तास्सुरात बयान किए। वज़ीर स्पोर्टस जितेन्द्र सिंह ने कहा कि ये हिंदूस्तानी स्पोर्टस कम्यूनिटी केलिए बद बख्ताना फैसला है और इशारा दिया कि वो इस तनाज़ा की यकसूई के लिए पहल करने का इरादा रखते हैं।

आई ओ ए को आई ओ सी के फैसले के जवाज़ को चैलेंज करते हुए सालसी अदालत बराए खेल कूद से रुजू होने का मौक़ा है। कारगुज़ार आई ओ ए सरबराह वी के मल्होत्रा ने कहा कि वो गुज़श्ता दो साल से हुकूमत पर ज़ोर देते रहे कि आई ओ ए पर स्पोर्टस कोड को मुसल्लत ना करे लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।