“इंडियाज डॉटर” पर बैन क्यों!

नई दिल्ली। मुल्क की दारुल हुकूमत में 16 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में एक लड़की के साथ दरिंदगी और 13 दिन बाद उसकी मौत के वाकिया पर मबनी डाक्यूमेंट्री के नशरियात पर पाबंदी लगाए जाने पर सवालों का सिलसिला जारी है। जुमे के रोज़ फिल्म अदाकारा मधु और सोहा अली खान ने सवाल उठाया है।

Central Board of Film Certification की साबिका सदर शर्मिला टैगोर की बेटी सोहा ने ट्वीट किया, प्लीज़ लेस्ली उडविन की बनाई डॉक्यूमेंट्री देखने दें। देखने के बाद ही हम समझ पाएंगे कि मुल्क में इस्मतरेज़ी ( रेप) की वाकियात क्यों होती हैं और तभी हम इसका कोई हल ढूंढ पाएंगे।

दरअसल, ब्रिटिश फिल्मसाज़ लेस्ली उडविन ने 23 साला ट्रेनी फीजियोथेरेपिस्ट के साथ दरिंदगी के साथ इज्तिमाई इस्मतरेज़ी करने वाले छह लोगों में से एक मुकेश सिंह के साथ हुई बातचीत भी अपनी डॉक्यूमेंट्री में जोडी है।

बवाल दरिंदे मुकेश के कहे लफ्ज़ो को लेकर मचा है। इस डॉक्यूमेंट्री के नशरियात पर मरकज़ी हुकूमत ने जुमेरात के रोज़ ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) को कानूनी नोटिस भेजा है। किसी शख्स ने डॉक्यूमेंट्री का वीडियो यूट्यूब पर भी अपलोड कर दिया।

इसके बाद इस पर रद्दे अमल मुसलसल रही हैं। कुछ लोग जहां इस डॉक्यूमेंट्री के ज़रिये से एक रेपिस्ट को अपनी घटिया सोच की तश्हीर करने का मौका दिए जाने का एहतिजाज और मुखालिफत कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसकी ताईद में यह दलील दे रहे हैं कि इसी बहाने दरिंदे ने पूरी सच्चाई तो उगल दी।

अदाकार और फिल्मसाज़ लक्ष्मी रामाकृष्णन ने हैरत ज़ाहिर करते हुए कहा कि, ऐसी फिल्म पर बैन लगाकर आखिर हम क्या छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अगर लगता है कि इसको दिखाने से मआशरे में गलत पैगाम जाएगा तो बेशक इस पर रोक लगाएं, लेकिन लोग जब देखेंगे, तभी जान पाएंगे कि उस लड़की के साथ सचमुच क्या हुआ था और हमें यानी मुल्क को अहसास होगा कि ख़्वातीन की इज़्ज़त व आबरू को कितना अहमियत दिया जाता है।

वहीं, अदाकारा मधु एक फिल्मसाज़ को तख्लीकी आज़ादी दिए जाने की ताईद में हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि इंडियाज डॉटर ने एक रेपिस्ट को बोलने का मौका देकर सही नहीं किया। उन्होंने कहा, मैं पूरी तरह इस बात में यकीन रखती हूं कि हर फिल्मसाज़ को तह्लीकी आज़ादी दी जानी चाहिए और वह जो कुछ दिखाना चाहता है, दिखाने का अख्तियार उसे मिलना चाहिए।

लेकिन एक नाज़रीन होने के नाते हमें यह तय करना होगा कि हम क्या देखें और क्या न देखें। मुझे लगता है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया जाना गलत है।