राजस्थान में गौ रक्षा को लेकर हिन्दू-मुस्लिम का खेल शुरू

राजस्थान के अलवर जिले में फिर एक आदमी मारा गया। एक ऐसा आदमी  जिसे गौरक्षक गौतस्कर बता रहे हैं। एक ऐसा आदमी जिसे मेव गौपालक बता रहे हैं। पिछले सवा साल में अलवर जिले में ऐसी चौथी वारदात हुई और रकबर खान चौथा आदमी था जिसे मार दिया गया। सवाल उठता है कि आखिर हरियाणा से सटे अलवर जिले में ऐसा क्यों हो रहा है?

भाजपा के शासन में आखिर ऐसी घटनाओं में क्यों इजाफा हुआ है? क्या वास्तव में गौपालकों के भेष में गौतस्कर गाय की तस्करी में लगे हैं? क्या भाजपा शासन के कारण बजरंग दल और गौरक्षक दलों को पुलिस का संरक्षण मिल रहा है। क्या गोकशी पर सख्ती के बाद गौतस्करी की घटनाएं बढ़ी हैं? और क्या इन घटनाओं का मोदी सरकार के मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के उस बयान से कोई लेना-देना है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही माब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा होगा?

हालांकि मंत्री जी ने इसे मोदी जी की लोकप्रियता से जोड़ते हुए कुछ लोगों का षड्यंत्र करार दिया था। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पूर्वी राजस्थान की 30 विधानसभा सीटें जीतने के लिए हिंदू-मुसलमान का खेल खेला जा रहा है? साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल रहा है? आखिर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राजस्थान में इसी साल के अंत में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ चुनाव होने हैं और यहां भाजपा की हालत बहुत अच्छी नहीं है।

राजस्थान देश का अकेला राज्य है जहां गाय कल्याण मंत्रालय है, जहां गाय की तस्करी रोकने के लिए 39 विशेष चैक पोस्ट बनाए गए हैं। इनमें से 6-6 तो अकेले अलवर और भरतपुर जिले में हैं जहां की सीमा हरियाणा से मिलती है। इन चैक पोस्टों को गाय रक्षा थाना भी कहा जा सकता है। ऐसे हर थाने में एक सहायक सब इंस्पैक्टर और 6 सिपाही तैनात किए गए हैं। इनके साथ गोरक्षक भी रहते हैं जो एक तरह से पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2015 के बाद से अब तक  गौतस्करों के खिलाफ 1113 केस दर्ज किए जा चुके हैं। 2198 गौतस्करों की गिरफ्तारी भी हुई है। पिछले 3 साल में पुलिस और गौरक्षकों के बीच फायरिंग की 33 घटनाएं हुई हैं। इनमें 7 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और एक कथित गौतस्कर की मौत हुई है।

पिछले सवा साल में 4 लोग मारे जा चुके हैं। पिछले साल अप्रैल में अलवर के बहरोड़ कस्बे में पहलु खान नामक व्यक्ति गौरक्षकों की पिटाई में मारा गया था। पहलु खान जयपुर में एक पशु मेले से गाय खरीद कर ले जा रहा था। इसके बाद नवम्बर में अलवर के ही गोबिंदगढ़ कस्बे में कुछ कथित गौतस्करों के साथ हुई मुठभेड़ में उमर मोहम्मद नाम का आदमी मारा गया। दिसम्बर में तालीम खान की मौत पुलिस फायरिंग में हुई। पुलिस का कहना था कि अवैध रूप से गाय एक मिनी ट्रक में ले जाई जा रही थी। हाल ही में रामगढ़ कस्बे में रकबर खान और असलम खान दो गाय ले जा रहे थे जब गौरक्षकों ने उन पर हमला किया और मार-मार कर अधमरा कर दिया। आरोप है कि बाद में पुलिस हिरासत में रकबर खान की मौत हो गई।

जानकारों का कहना है कि मेवात में हिंदू-मुस्लिम का खेल खेला जा रहा है। गौरक्षकों को पुलिस का संरक्षण मिलता है और उनमें से कुछ तो गाय बचाने की आड़ में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का काम करते हैं। दरअसल पूर्वी राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले हरियाणा की सीमा से सटे हुए हैं और इन दोनों जिलों से ही होकर गाय हरियाणा भेजी जाती हैं। अलवर और भरतपुर के अलावा पूर्वी राजस्थान में करौली, धौलपुर और सवाई माधोपुर जिले आते हैं जहां से गाय वाया अलवर और भरतपुर हरियाणा भिजवाई जाती हैं।

इन 4 जिलों में कुल मिलाकर 30 विधानसभा सीटें आती हैं जो कुल विधानसभा सीटों का 15 फीसदी है। जिस राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच टक्कर का मुकाबला रहता हो और वोट का अंतर भी अढ़ाई से 3 फीसदी के बीच रहता हो, वहां ये 30 सीटें खास मायने रखती हैं। अलवर की 11, करौली, धौलपुर और सवाई माधोपुर की 4-4 और भरतपुर की 7 सीटों पर भाजपा की नजर है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में इन 30 में 25 से ज्यादा सीटें भाजपा ने जीती थीं लेकिन इस बार सियासी जमीन इतनी उर्वर नजर नहीं आ रही है। ऐसे में कांग्रेस का आरोप है कि पूर्वी राजस्थान में भाजपा गोरक्षकों के नाम पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही है।

लेकिन क्या वास्तव में ऐसा ही है? अलवर के तिजारा कस्बे का जरोली गांव हरियाणा की सीमा से सटा हुआ है। वहां सलमा के सिर पर हाथ फेरते हुए हरा चारा खिलाती हुई सलीमन मिली। सलीमन ने अपनी गाय का नाम सलमा रखा है। वह कहती हैं कि कुछ लोग गौतस्करी करते हैं और पूरी कौम को बदनाम होना पड़ता है। सलीमन की सास एलना का कहना है कि गाय के बूढ़ी होने पर भी वे लोग उसे बेचते नहीं हैं। खूंटे से लगकर ही मरेगी, ऐसा एलना का कहना है। जरोली गांव से सटे एक अन्य गांव में मिले ईशान खान। उनके पास 8 गाय हैं। 40 सालों से गाय पाल रहे हैं। कहते हैं कि बच्चों को तो फिर भी कभी डांट देते हैं लेकिन गाय को तो छूते तक नहीं हैं। वह भी कहते हैं कि दादा-परदादा के समय से घर में गाय पाली जा रही है लेकिन कुछ सालों में ही माहौल खराब होने लगा है।

मेव कहते हैं कि अब तो उन्हें नई गाय खरीदने में ही दिक्कतें आ रही हैं। उधर किशनगढ़ बास से भाजपा विधायक रामहित यादव का कहना है कि गौतस्करी को कांग्रेस ने बढ़ावा दिया था और वह मेव को लेकर राजनीति कर रही है। यादव कहते हैं कि गौतस्कर बहुत ताकतवर हैं, हथियार रखते हैं और चोरी के ट्रक से गाय ले जाते हैं। वे पुलिस से भिडऩे में भी डरते नहीं हैं और उल्टे पुलिस वाले ही गौतस्करों का सामना करने में डरते हैं। जानकारों का कहना है कि पुलिस को बहुत पहले ही नाका लगाकर गौतस्करों को रोक लेना चाहिए। पुलिस उन्हें बार्डर तक आने देती है और गौतस्कर वहां से हरियाणा में घुसने के कई रास्ते निकाल लेते है।

-विजय विद्रोही