इंडोनेशिया: ISIS के खिलाफ मुस्लिम “साइबर आर्मी” सक्रिय

‘साइबर आर्मी’ प्रतिबद्ध है कि जिहादी विचारधारा का ज़हरीला प्रभाव खत्म करने के लिए इस्लाम का यथार्थवादी विचारों का प्रचार करती रहेगी। यह ‘आर्मी’ इंटरनेट के माध्यम से ISIS के आक्रामक मीडिया प्रचार का जवाब देने की कोशिश में है।

इंडोनेशिया में ‘न्ह्ज़ा अल उलेमा’ नामक संगठन दुनिया भर में मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। इस संगठन के अनुसार इसके सदस्यों की संख्या चालीस लाख है। इंडोनेशिया में एक लंबे समय से सक्रिय इस इस्लामी संगठन ने हाल ही में एक नई परियोजना शुरू की है, जिसके तहत इस्लाम की मामूली यथार्थवादी व्याख्याओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका मकसद दरअसल उग्रवादी समूह ISIS के कठिन सिद्धांतों और इस्लाम की सख्त व्याख्याओं का जवाब देना है।

इस संगठन के लगभग पांच सौ सदस्यों को विशेष रूप से कार्य सौंपे गए हैं कि वे न केवल देश भर में बल्कि वैश्विक स्तर पर इंटरनेट पर जिहादियों द्वारा शुरू किए गए प्रचार का जवाब दें। इस उद्देश्य के लिए उन्हें कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्ट फोन प्रदान किए गए हैं।

‘नह्ज़ा  अल उलेमा’ के एक वरिष्ठ सदस्य सयानि अली अपनी एक ट्वीट में कहा, ” हम इस्लाम को ऐसे लोगों के हाथों अपहरण नहीं होने देंगे, जो नफरत फैलाते हैं। ” इस इस्लामी संगठन ने अपनी इस टीम को ‘साइबर आर्मी ‘करार दिया है।

ISIS द्वारा आधुनिक और एकीकृत तरीके से किए जाने वाले साइबर प्रचार के कारण कई लोग इस जिहादी समूहों की तरफ माइल हुए हैं। कहा जाता है कि केवल इंडोनेशिया में ही पांच सौ लोगों ने जिहादी सोच अपनाने के बाद ISIS के कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिये मध्य पूर्व जा चुके हैं। आशंका भी मौजूद हैं कि आबादी के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी देश इंडोनेशिया में ISIS अपनी जड़ें मजबूत बना सकती है।

इसी स्थिति के संदर्भ में ‘नह्ज़ा अल उलेमा’ साइबर आर्मी कुछ परेशान भी है, क्योंकि उसका कहना है कि उसके पास वह वित्तीय संसाधन नहीं है, जो जेहादियों के पास हैं। हालांकि मुस्लिम संगठन ने इस्लाम के मध्यम से  यथार्थवादी विचारों को बढ़ावा देने के लिए वेबसाइटों और एप्लिकेशन के अलावा एक टेलीविजन स्टेशन भी बना लिए हैं लेकिन फिर भी ISIS के मीडिया सेल का प्रचार अधिक बड़े पैमाने पर जारी है।

‘नह्ज़ा अल उलेमा’ के महासचिव जॉन ने एएफपी को बताया कि उन्हें मौलिक और तीव्रता व्यावहारिक प्रचार से निपटने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, ” जब भी हम उन्हें किसी साइबर मोर्चे पर मात देते हैं, तो देर नहीं लगती कि वह फिर जवाब दे देते हैं। ”

अच्छे इरादे के बावजूद ‘नज्हा अल उलेमा’ साइबर आर्मी ISIS के लड़ाकों से कमजोर मालूम होती है। जिहादियों के ऑनलाइन आपरेशन उच्च एकीकृत और आधुनिक हैं। वह इस उद्देश्य के लिए सामाजिक मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों का अत्यधिक चाबुक दस्ती से  इस्तेमाल कर रहे हैं। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, लाइन या अन्य ऑनलाइन स्रोतों से उनके संदेश भेजने की गति बहुत तेज है। अमेरिकी अधिकारियों के आंकड़ों के अनुसार यह  जिहादी समूह केवल अमेरिका में प्रतिदिन दो लाख जिहादी संदेश भेजता है।

ISIS की अपनी एक समाचार एजेंसी भी है। ‘अमाक’ नामक समाचार संस्था ही जेहादियों द्वारा की जाने वाली हिंसक कृत्यों की समाचार ब्रेक करता है। इसके अलावा यह गिरोह पर्चारिक वीडियो बनाने में भी माहिर है। कहा जाता है कि इसी तरह इंटरनेट पर प्रचार की मदद से यह अतिवादी समूह दुनिया भर में अपने लिए नए जिहादियों की भर्ती का काम भी करता है।

इंडोनेशिया में आतंकवाद विशेषज्ञ रूबी सोगारा के अनुसार अलबत्ता ‘नज्हा अल उलेमा’ की कोशिश सराहनीय है क्योंकि आजकल जिहादी विचारधारा का प्रचार इंटरनेट पर कुछ ज्यादा ही हो गया है, ” इस्लामी विचारधारा को लेकर इंटरनेट एक युद्धक्षेत्र बन गया है। संयम समर्थक जितनी अधिक वेबसाइटें बनाई जाएंगी, लोगों के मन उतने ही अधिक स्वस्थ रहेंगे। ”