एक अनोखे वाक़िया में सरकारी काम काज किस तरह निमटाए जाते हैं इसका अंदाज़ा एक सरकारी ओहदेदार के बयान से होता है जिस ने बताया कि ज़िला में ज़ाइद अज़ ( अधिकतम) 1500 अफ़राद ऐसे हैं जो ज़ईफ़ अलामरी की पेंशन अपनी मौत के बाद भी उसूल कर रहे हैं ।
ज़िला के सोश्यल वेलफेयर डिपार्टमेंट की तहक़ीक़ात से ये इन्किशाफ़ हुआ कि 35018 अफ़राद को ज़ईफ़ अलामरी की पैंशन केलिए मंज़ूरी दी गई थी जिन में से 1697 मुअम्मर अफ़राद ( बूढे लोग) फ़ौत ( मृत/ मर) हो चुके हैं । डिस्ट्रिक्ट सोश्यल वेलफेयर डिपार्टमेंट के ओहदेदार राम कृपाल यादव ने कहा कि जब घर घर मुहिम (योजना) चलाई गई तो ये इन्किशाफ़ हुआ कि 1697 इस्तेफ़ादा कुनुन्दगान इंतेक़ाल कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें पेंशन दिए जाने का सिलसिला जारी था ।
अब इन इस्तेफ़ादा कुनुन्दगान ( फायदा ले वालो) की जगह 550 नए दरख़ास्त गुज़ारों को ऐडजस्ट किया जाएगा । इन हालात को देखते हुए मुज़फ़्फ़र नगर में 2008 में प्रोविंशियल सियोल सर्विसेस (PCS) की एक ओहदेदार रिंकू सिंह राही ने मज़कूरा ( उक़्त) डिपार्टमेंट में मुतवफ़्फ़ी (मृतक ) मुअम्मर ( बूढे) अफ़राद के नाम पर पेंशन जारी करने को एक स्क़ाम से ताबीर किया ।