इंदिरा गांधी ने मुझे मुश्किल में इस्तिक़ामत से काम लेना सिखाया: लार्ड पाल

एन आर आई सनअत कार लार्ड स्वराज पाल जिन्हें 1968 में अपनी कमउमर बेटी की मौत का सदमा बर्दाश्त करना पड़ा, इन का कहना है कि साबिक़ा हिंदूस्तानी वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री) उन्हें परेशानी की सूरत-ए-हाल में हिम्मत से काम लेना सिखाया।

कल शाम लंदन ज़ौ में अपनी जानिब से बेटी की याद में मुनाक़िदा एक ईवंट से ख़िताब करते हुए लार्ड पाल ने माज़ी की यादें ताज़ा कीं और इस मदद और हौसला का ज़िक्र किया जो उन्हें अपने वालदैन , फ़ैमिली और दोस्तों से हासिल हुई जिन की मदद से वो अपनी ज़िंदगी को अच्छी तरह आगे बढ़ाने में कामयाब हुआ।

साबिक़ा हिंदूस्तानी वज़ीर-ए-आज़म को अ ज़ीम शख़्सियत क़रार देते हुए लार्ड पाल ने कहा कि मिसिज़ इंदिरा गांधी ने मुझे सिखाया कि कठिन हालात में हिम्मत नहीं हारना चाहीए। उन्हों ने कहा कि इन की बेटी अमबीका की बीमारी ने उन की फ़ैमिली को तल्ख़ तजुर्बात से गुज़ारा और उन्हें बहुत कुछ सिखने को मिला।

लार्ड पाल अमबीका के ईलाज के सिलसिला में 1966 -में लंदन आए । ताहम बेहतरीन तिब्बी निगहदाशत के बावजूद ल्यूकेमिया से मुतास्सिरा अमबीका का 1968 -में इंतिक़ाल होगया।