इंदौर-पटना रेल हादसा: ऐसा लग रहा था कि भूचाल आ गया हो…

पटना: कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल हादसे के शिकार हुए लोग उस खौफ़नाक मंजर को भुला नहीं पा रहे हैं। कल सुबह हुए इस रेल हादसे के बाद कानपुर पहुंचे लोगों के चेहरे पर उस खौफ की झलक साफ़ दिखाई दे रही थी। इस हादसे से कई लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुई हैं। बीबीसी की खबर के मुताबिक रेल डिपार्टमेंट के नॉर्दर्न सेंट्रल के पीआरओ अमित मालवीय ने एक लोकल पत्रकार को बताया है कि अब तक 142 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि घायलों की संख्या 180 तक पहुंच गई है। पटना पहुंचे कई लोगों ने अपना दर्द ब्यान किया।

इस ट्रैन में पटना आ रहे छपरा के रहने वाले विनोद साह को इस हादसे में उनके पैर और बाजू में चोटें आई हैं लेकिन उनका ये सब उनके असली दुःख के सामने कुछ भी नहीं है। विनोद ने इस हादसे में अपनी माँ कांति देवी को खो दिया। अपने आँखों से बह रहे आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रहे विनोद ने कहा कि जिसके साथ ऐसा हादसा हुआ हो़ वो कभी कानपुर की तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं करेगा।

ट्रैन में उज्जैन से चढ़े सीतामढ़ी में रहने वाले आनंद महतो का कहना है कि इस सफर की शुरुआत में ही गड़बड़ हो गई थी जब इस गाडी से एक भैंस काट गई थी। उन्होंने बताया कि जब ये हादसा हुआ तो दो बोगियों का तो पता ही नहीं चल रहा था। हमें ऐसा लग रहा है कि हम मौत के कुए से बचकर आये है।

इसके साथ इसी हादसे के एक और गवाह रिज़वान जोकि बांका के रहने वाले हैं ने सारा किस्सा ब्यान करते हुए कहा कि इस हादसे के बाद उनका कोच आधा पटरी पर, तो आधा खेत में था। ऐसा लग रहा था कि भूचाल आ गया हो। हर तरफ हाहाकार मची हुई थी। हर तरफ लोग रो रहे थे। कई लोगों की लाशें पड़ी हुई थी और गेट भी खुल नहीं रहा था। हम ट्रैन को छोड़ कर सरकारी बस पकड़ कर कानपुर आये हैं और वहां से पटना।