इंसानों की स्मगलिंग, इज़्ज़ते नफ़्सी पर धब्बा – कैरी

अमरीकी महकमा ख़ारजा ने कहा है कि वसीअ पैमाने पर जारी इंसानी स्मगलिंग ने आलमी मईशियत के नए दरीचे ज़रूर खोले हैं, लेकिन मेहनत के शोबे पर नज़र दारी पर मामूर अहलकारों और जिस्म फ्रोशी के बेउसूल ताजिरों के हाथों लाखों लोग मजबूर हैं; और, ये कि, ये सूरते हाल, दुनिया के सारे मुल्कों में जारी है।

इंसानी हुक़ूक़ के बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट में, महकमा ख़ारजा ने सूरते हाल को जदीद दौर की गु़लामी से ताबीर किया है, जिस में बच्चीयों और ख़्वातीन के साथ मज़ालिम बरते जाते हैं, जिन्हें जिस्मफ्रोशी पर मजबूर किया जाता है; जब कि दुनिया भर में अगर ऐसे बदनसीबों को कोई रोज़गार का मौक़ा मिलता भी है, तो मर्द, ख़्वातीन और बच्चों को कम उजरत वाली मशक़्क़त में झोंक दिया जाता है।