इंसान का जिस्म अल्लाह की अमानत, किडनी डोनेट करना हराम’

किडनी डोनेट करने के मुताल्लिक पूछे गए सवाल के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों ने इसे हराम करार दिया। कहा, इंसान जिस चीज का मालिक नहीं है वह उसे डोनेट नहीं कर सकता है।

मुफ्तियों से एक शख्स ने सवाल नं0 53737 में पूछा कि क्या कोई शख्स अपनी मौत के बाद अपने जिस्म की किडनी किसी दूसरे को बतौर डोनेट कर सकता है। जिसके लिए उसने अपनी मौत से पहले वसीयत की है।

मुफ्तियों की बेंच ने जवाब नं0 53737 फतवा नं० 1080-1058/एन=9/1435 में शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि इंसान अपने जिस्म या आज़ा (Organ) का मालिक नहीं है।

दारुल उलूम वक्फ के सीनीयर उस्ताद मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि शरीयत में साफ कहा गया है कि इंसान का जिस्म अल्लाह की अमानत है।

इसलिए जिस्म के किसी भी आज़ा (Organ) को डोनेट करने का हक किसी इंसान को नहीं है। वसीयत सिर्फ ऐसी चीज की हो सकती है जिसका इंसान मालिक है। इसलिए जिंदा रहते या मरने के बाद जिस्म का कोई हिस्सा या आज़ा (Organ) किसी को बतौर डोनेट देना कतई सही नहीं है बल्कि हराम है। यह तरीका इंसान के खिलाफ है।