पटना 20 फरवरी- गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के लिए ये परेशान कर देने वाली ख़बर है. इकनॉमिक ग्रोथ के मुआमले में नतीश कुमार की बिहार मोदी के गुजरात से आगे निकल गया है. ग्लोबल इकनॉमिक स्लो डाउन और मुल्क में कम होती घरेलू मांग के बावजूद बिहार ने 11 वीं पंच साला मंसूबे के दौरान 11.95 फ़ीसद की शरह से तरक़्क़ी की, जो मुल्क की दीगर रियास्तों में सब से ज़्यादा है।
बिहार के लिए 2012-13 का इकनॉमिक सर्वे असेंबली में पेश करने के बाद डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुशील कुमार मोदी ने नामा निगारों से कहा, 11 वीं पंच साला मंसूबे के दौरान बिहार के इक़तिसादी तरक़्क़ी की शरह 11.95 फ़ीसद रही जो मुल्क की दीगर रियास्तों में सब से ज़्यादा है. रियासत की मजमूई घरेलू मसनूआत की बुनियाद पर बिहार में फीकस आमदनी 25,653 रुपये है जबकि क़ौमी औसत 60,972 रुपये है. 2011-12 में रियासत की फीकस आमदनी बनिसबत क़ौमी सतह के 42 फ़ीसद हो गया जबकि 2007-08 में ये 32.4फ़ीसद था।
मोदी ने कहा, ये सर्वे बिहार की इकनॉमि की अच्छी तस्वीर पेश करता है. ये अच्छी इक़तिसादी पालिसीयों का नतीजा है. रियासत ने हर शोबे में तरक़्क़ी की है. इकनॉमिक सर्वे के मुताबिक़ 2004-05 के मुस्तहकम क़ीमत पर बिहार का ख़ाम मुल्की पैदावार ((जीएसडीपी) 2011-12 में 1.52 लाख करोड़ रुपये था।
2011-12 में 172 लाख टन अनाज की पैदावार हुई जो 2010-11 के मुक़ाबले में 68 लाख टन ज़्यादा था. 2011-12 में रियासत में धान की पैदावार 82 लाख टन हुई. 2011-12 में बिहार का अपना कर आमदनी बढ़ कर 12,612 करोड़ रुपये हो गया।
डिप्टी चीफ मिनिस्टर ने सय्याहों की तादाद में इज़ाफ़ा को इकनॉमि के लिए अच्छा इशारा करते हुए कहा कि मुल्क में आने वाले ग़ैर मुल्की सय्याहों में हर छटवां सय्याह बिहार आता है. 2011 में ये तादाद 7.95 मिलयन थी. 2011-12 में बिहार में बैंकों में जमा 22,155 करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा हुवा- 2010-11 के मुक़ाबले में क़र्ज़ देने में 6500 करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा हुआ. रियासत में सितंबर 2012 तक बिहार का क़र्ज़ जमा तनासुब बढ़ कर 39 फ़ीसद हो गया। (एजेंसी)