ईद-उल-अजहा यानी बकरीद 22 अगस्त को मनाई जाएगी. ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) कुर्बानी का त्योहार है, इस दिन लोग किसी जानवर की कुर्बानी देकर ईद का त्योहार मनाते हैं लेकिन हर बार कुछ लोगों द्वारा इस बात पर ऐतराज किया जाता है कि त्योहार के नाम पर जानवर की कुर्बानी देना क्या ठीक है?
लखनऊ में इस बार कुछ लोगों ने इस विवाद से बचते हुए ईद पर जानवर को काटने की बजाय केक काटने का फैसला किया है. लखनऊ में ईद की तैयारियां जोरों पर है और लोग ईद के लिए कपड़े और बाकी सामान खरीद रहे हैं.
लेकिन इस बार कुछ अलग जो यूपी में दिखाई दे रहा है वो है एक खास केक, जिसपर बकरे की फोटो बनी हुई है. इस खास केक को बनाने का मकसद है कि लोग ईद पर बकरे को काटने की बजाय उसकी फोटो लगा केक काटें ताकि इससे जानवर की भी मौत न हो और कुर्बानी का त्योहार भी अच्छे से मनाया जा सके.
People in #Lucknow are preparing to celebrate an eco-friendly #Bakrid by cutting cakes with a goat image. A buyer at a bakery says, “The custom of sacrificing an animal on Bakrid is not right. I appeal to everyone to celebrate the festival by cutting a cake instead of an animal.” pic.twitter.com/C5EJ73dKM1
— ANI UP (@ANINewsUP) August 21, 2018
ऐसे ही केक को खरीदने के लिए लखनऊ की एक दुकान पर पहुंचे एक व्यक्ति ने कहा कि ”बकरीद पर जानवर को कुर्बानी के नाम पर काटना ठीक नहीं है, मैं सभी से अपील करता हूं कि ईद पर बकरे को काटने की जगह केक काटकर इस त्योहार को मनाएं और अपने अंदर की बुराइयों की कुर्बानी दें.”
इन जानवरों को पालने के बाद देते हैं कुर्बानी
अरब में दुम्बा (भेड़), ऊंट की कुर्बानी दी जाती है. जबकि भारत में बकरे, ऊंट और भैंस की कुर्बानी दी जाती है. अल्लाह सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा था, और अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के बेटे को बचाकर दुम्बा कुर्बान करा दिया.
इसलिए अरब में दुम्बा की कुर्बानी का चलन शुरू हुआ. बकरे या अन्य जानवरों की भी कुर्बानी दी जाने लगी. जिन जानवरों की कुर्बानी देते हैं उसे कई दिन पहले से अच्छे से खिलाया-पिलाया जाता है. उससे लगाव किया जाता है, फिर उसी की कुर्बानी दी जाती है.