अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने संबोधन में फिलीस्तीन और इजरायल से आग्रह किया है कि वे साथ बैठकर बातचीत के माध्यम से विवाद का समाधान खोजें। उनका कहना है कि इजरायल को यह समझना चाहिए कि फिलीस्तीनी भूमि पर यहूदी विस्तार और उसका सैन्य कब्जा हमेशा कायम नहीं रहेगा।
इसी तरह फिलिस्तीनियों को हिंसा का रास्ता छोड़ कर इजराइल को संवैधानिक राज्य स्वीकार करना होगा। जब दोनों पक्षों इन तथ्यों को स्वीकार कर तो वे शांति स्थापित हो सकेगी।
महासभा की बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए उपयुक्त है कि वह इसराइल को मान्यता और हिंसा का रास्ता छोड़ दें। इसराइल को भी यह एहसास होगा कि वह हमेशा के लिए न तो यहूदी पुनर्वास नीति को जारी रख सकता है और न ही फिलीस्तीनी भूमि पर उसका कब्जा कायम रहेगा।
बराक ओबामा ने कहा कि सीरिया में पिछले पांच साल से जारी खूनी लड़ाई में एक भी सैन्य जीत नहीं हो सकती है। उनका कहना है कि इस युद्ध का कूटनीति ही के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
उनका कहना था कि ”(सीरिया में) कोई सैन्य जीत हासिल नहीं की जा सकती है। हमें कूटनीति का कठिन रास्ता अख्तियार करना होगा जिसका उद्देश्य हिंसा का अंत हो और जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाई जा सके। ”