संविधान संशोधन से जुड़े बिल के तहत भविष्य में इस्राएल और फलीस्तीन के बीच अगर शांति समझौता हुआ तो भी येरुशलम के फलीस्तीनी हिस्से वापस लौटाना इस्राएल की सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा.
मंगलवार को पास हुए बिल के मुताबिक भविष्य में अगर किसी भी सरकार ने येरुशलम के कुछ हिस्सों को इस्राएल से अलग करने की सोची, तो उसे संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी. इस्राएली संसद में 64 में से 51 वोट बिल के पक्ष में पड़े.
विधेयक का असर भविष्य की शांति वार्ताओं पर पड़ेगा. जब भी बातचीत होगी तो इस्राएल के नियंत्रण वाले येरुशलम के फलीस्तीनी हिस्सों पर मतभेद उभरेंगे.
इस्राएल ने 1967 के अरब-इस्राएल युद्ध के दौरान पूर्वी येरुशलम और पश्चिमी तट को नियंत्रण में लिया. पूर्वी येरुशलम को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कभी इस्राएली जमीन के रूप में मान्यता नहीं दी.
लेकिन इसके बावजूद इस्राएल पूरे येरुशलम को अपनी राजधानी बताता है. वहीं फलीस्तीनी पूर्वी येरुशलम को भविष्य के आजाद फलीस्तीन की राजधानी बनाना चाहते हैं. येरुशलम, इस्राएल फलीस्तीन संघर्ष का केंद्र बिंदु सा है.