इज़राइल के अमेरिकी राजदूत डेविड फ्राइडमैन ने फिलिस्तीनियों के बीच एक नए विवाद को पैदा कर दिया, जब उन्होंने इज़राइली कब्जे वाले पूर्वी यरूशलेम में उस तस्वीर को स्वीकार किया जिसमे जेरुसलम से पवित्र अल-अक्सा मस्जिद मिटा दिया गया था।
इस तस्वीर में पवित्र अल-अक्सा मस्जिद की जगह यहूदियों के थर्ड टेम्पल को दिखाया गया है जो की अभी बना ही नहीं है।
By receiving a picture of Jerusalem from Settler Groups which shows a Jewish temple in place of the sacred Al-Aqsa mosque, the US ambassador to Israel is inviting the destruction of Al-Aqsa mosque. David Friedman is an ardent supporter of illegal settlements.#BDS pic.twitter.com/NeSpDxO5Rs
— Mohamed Khan (@khan1952) May 24, 2018
इस तस्वीर को सबसे पहले एक इज़राइली गैर-सरकारी संगठन द्वारा पोस्ट किया गया था,जहां राजदूत ने मंगलवार का दौरा किया था, जिसके बाद यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी।
What's missing in this photo of Jerusalem that US Ambassador to Israel David Friedman is looking at? The Dome of the Rock & Al-Aqsa Mosque. Removing the Islamic holy sites is a long-term goal of far-right Israeli Jewish extremists who want to erase Palestinians from Jerusalem. pic.twitter.com/Y0AnKbAm2B
— IMEU (@theIMEU) May 22, 2018
फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के महासचिव साबे इरेकट ने एक बयान में कहा कि “ऐसी तस्वीर प्राप्त करते समय राजदूत के चेहरे पर मुस्कुराहट आत्म-व्याख्यात्मक है।” उन्होंने कहा की “कब तक ये घृणास्पद अमेरिकी कार्य चलेगा?” उन्होंने कहा की “वे पहले इस्लाम में किबला पर हमला कर रहे हैं और संघर्ष को धार्मिक संघर्ष में बदल रहे हैं। ”
फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के धार्मिक मामलों के सलाहकार महमूद हब्बाश ने आधिकारिक ने अमेरिकी दूत फ्राइडमैन को “आतंकवादी निवासी” कहा।
सोशल मीडिया पर अमेरिकी दूतावास के इस तस्वीर को पकड़ने के बाद काफी निंदा की गयी. सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया के बाद अमेरिकी दूतावास ने आलोचना का जवाब दिया कि “फ्राइडमैन तस्वीर के अंदर की कलाकृति से अनजान थे।“
अमेरिकी दूतावास ने कहा की “राजदूत फ्राइडमैन को तस्वीर के दौरान अल-अक्सा मस्जिद के बारे में ना होने के बारे में पता नहीं था। वह दुखी हुआ की उसकी यात्रा के बाद यह विवाद पैदा हुआ है। दूतावास ने कहा की “यू.एस. नीति बिल्कुल स्पष्ट है: हम हरम अल-शरीफ़ / मंदिर माउंट का समर्थन करते हैं।
साभार- ‘वर्ल्ड न्यूज अरेबिया’