नई दिल्ली, ३१ दिसम्बर: (एजेंसीज़) अब तक महिज़ तफ़रीह, हल्की फुल्की बातचीत और इज़हार राय के लिए सूदमंद समझी जाने वाली सोश्यल नेटवर्किंग साईट गुज़श्ता साल इत्तिलाआत और मुबाहिसा के एक अहम ज़रीया के तौर पर उभरी है और अरब दुनिया में इन्क़िलाबात में काबिल-ए-ज़िकर रोल अंजाम दिया है।
हिंदूस्तान में इंटरनेट की निगरानी के ताल्लुक़ से बढ़ते तनाज़आत के दरमयान हुकूमत ने गूगल, फेसबुक, और ट्विटर जैसी पेशरू सोश्यल नेटवर्किंग फर्म्स के साथ बातचीत की और कहाकि इंटरनैट की सनसरशप का कोई सवाल पैदा नहीं होता।
कांग्रेस सदर सोनीया गांधी और वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के बारे में काबुल एतराज़ मतन इन वैबसाईटस पर पेश किए जाने की वजह से उन पर रोक लगाने का ज़िक्र ख़बरों में था। जून से इंटरनैट सर्च इंजन गूगल ने अपनी ट्रांसलेशन सरविस में पाँच और हिंदूस्तानी ज़बानों को शामिल कर लिया और इस की रसाई मज़ीद 50 करोड़ लोगों तक होगई।