इत्तेहाद कौंसिल में सियासी दरारें

फिर्कावाराना तक्सीम को दूर करने के लिए बुलाई गई कौमी इत्तेहाद कौंसिल खुद खेमों में बटी नजर आई। गैर यूपीए व एनडीए के ज़्यादातर वज़ीर ए आला इजलास में नहीं पहुंचे। इजलास में वज़ीर ए आज़म डॉ. मनमोहन सिंह ने हाल के फिर्कावाराना दंगों को सियासी नफा-नुकसान के नजरिये से देखने वाली पार्टियों को आड़े हाथों लिया। साथ ही कहा कि दंगा करने या फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो, चाहे वह किसी भी पार्टी से हों।

वहीं बीजेपी के CMs में अकेले इजलास में शामिल हुए शिवराज सिंह चौहान ने फिर्कावाराना तक्सीम के लिए मायनारिटी (Minority) की पालिसी को जिम्मेदार ठहराकर मरकज़ को कठघरे में खड़ा कर दिया। तेलुगुदेसम पार्टी के सदर चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना के मुद्दे पर नहीं बोलने देने की मुखालिफत में बैठक से वाकआउट कर गए।

इत्तेहाद कौंसिल की इजलास का इफ्तेताह करते हुए वज़ीर ए आज़म ने मुजफ्फनगर दंगे के लिए बिलावास्ता तौर पर बीजेपी और सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि फिर्कावाराना द‍ंगे को सियासी नफा-नुकसान से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इससे आखिर पूरे मुल्क को नुकसान होता है। किश्तवाड़, मुजफ्फरनगर और नवादा में फिर्कावाराना द‍ंगे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रियासती हुकूमतों को ऐसे वाकियात से सख्ती से निपटना चाहिए।

वैसे गैर यूपीए इक्तेदार वाली रियासतो के CMs की बैठक से दूरी ने इस मुद्दे पर सियासी पार्टीयों के बीच तक्सीम को गहरा कर दिया। बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर कोई भी वज़ीर ए आला नहीं आया। शिवराज ने बीजेपी की इक्तेदार वाली रियसतों में फिर्कावाराना दंगे नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे वाकियात के पीछे एक खास तब्के को खुश करने की पालिसी है। उन्होंने कहा कि हुक्मरानो को खुश करने की पालिसी को छोड़कर सभी तब्को का यक्सा तौर पर तरक्की करने की कोशिश करनी चाहिए।

उत्तरप्रदेश के वज़ीर ए आला अखिलेश यादव और बिहार के वज़ीर ए आला नीतीश कुमार ने शिवराज के तर्को को खारिज किया। अखिलेश ने मुजफ्फरनगर दंगे के लिए सीधे तौर पर बीजेपी को गुनाहगार ठहराते हुए कहा कि 1990 से रियासत में मुसलसल फिर्कावाराना हम आहंगी को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। इस सिलसिले में उन्होंने अयोध्या की बाबरी मस्जिद के ढांचे को शहीद करने से लेकर पिछले महीने विहिप की तरफ से मुनाकिद 84 कोसी परिक्रमा तक का जिक्र किया।

वहीं नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलहैदगी और ताल्लुक का जिक्र किए बिना ही कहा कि बिहार में अचानक मज़हबी रैलियों और प्रोग्रामों की तादाद तेजी से बढ़ गई है। उन्होंने मज़हबी जुलूसों और पंडालों में बिहार की तर्ज पर सियासी कार्टूनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का सुझाव भी दिया।

गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी, पंजाब के वज़ीर ए आला प्रकाश सिंह बादल, पश्चिम बंगाल की वज़ीर ए आला ममता बनर्जी, ओड़िशा के वज़ीर ए आला नवीन पटनायक, छत्तीसगढ़ के वज़ीर ए आला रमन सिंह, तमिलनाडु की वज़ीर ए आला जयललिता और बसपा की सरबराह मायावती इस इजलास से किनारे रहें।

——–बशुक्रिया: जागरण