इमारतों के इन्हिदामी हादिसात के पस-ए-मंज़र में वज़ीर बराए शहरी तरक्कियात ऐम वैंकया नायडू ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी मूसिर क़ानूनसाज़ी होनी चाहिए जिस के तहत इमारतों के इन्हिदाम के वाक़ियात में कोताही के खाती ओहदेदारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सके।
दिल्ली और चेन्नई में इमारतों के हालिया इन्हिदामी हादिसात को उन्होंने शहरी मंसूबा बंदी पर एक नाख़ुशगवार तबसरा से ताबीर किया। वैंकया नायडू ने ख़िताब करते हुए ये बात कही जहां मुख़्तलिफ़ रियासतों के वज़रा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि किसी भी इमारत के हादिसाती तौर पर मुनहदिम होजाने का हादिसा अगर रुनुमा होजाए तो इसके लिए बिल्डिंग इन्सपेक्टर, मुक़ामी टाउन प्लानर और एरिया इंचार्ज को जवाबदेह बनाना चाहिए और ऐसा करने के लिए लाज़िमी बात है मूसिर क़ानूनसाज़ी की ज़रूरत है।
उन्हों ने कहा कि कार्रवाई उस वक़्त की जानी चाहिए जब हादिसा मज़कूरा बाला अफ़राद की मुलाज़मत की मीयाद के इख़तताम से क़बल रुनुमा हुआ हो। अगर हादिसा मीयाद के इख़तताम के बाद रुनुमा हुआ हो तो फिर इन ओहदेदारान को मौरिद इल्ज़ाम टहराना मुनासिब नहीं।
बहरेहाल हम को कहीं ना कहीं से शुरूआत करनी पड़ेगी। हमें अब म्यूनसिंपल कारपोरेशन में ऐसा ही एक क़ानून बनाने की ज़रूरत है जिस से मुताल्लिक़ा आफ़िसरान को ये मालूम होजाए कि वो भी किसी को जवाबदेह हैं। इस नौईयत के हादिसात में मीडिया के रौल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब कभी इमारत के इन्हिदाम का हादिसा रुनुमा होता है तो मीडिया उसकी बहुत तशहीर करता है।
कभी ये तशहीर मनफ़ी नौईयत की होती है और कभी मुसबत नौईयत की। इसके बाद कोई फ़आल और अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह समझने वाले ऑफीसर का वहां दौरा होता है और वो बाक़ी इमारत के इन्हिदाम का हुक्म सादिर करता है जिस पर काफ़ी वावेला मचाया जाता है। यहां भी मीडिया अपना रौल अदा करता है और इसके बाद लोग सब कुछ भूल जाते हैं। याद रहे कि हाल ही में चेन्नई में इमारत के इन्हिदाम में 53 अफ़राद और दिल्ली में पेश आए हादिसा में दस अफ़राद हलाक होचुके हैं।