हमीरपुर: उत्तर प्रदेश में बूचड़खाने की स्थापना के पहले खाद्य सुरक्षा विभाग की शर्तें पूरी करने के बाद ही ऑपरेटरों को लाइसेंस मिल सकेगा। खाद्य सुरक्षा विभाग के एक उच्च अधिकारी वी के शर्मा ने बताया कि प्रशासन ने बूचड़खानों की स्थापना के पहले ऑपरेटरों को एनओसी लेना पड़ेगा, और इससे पहले कई मुश्किल चरणों से गुजरना होगा।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के मुताबिक़ स्लाटर हाउस बस्ती से बाहर होंगे और उसके सभी सेल में रिफ्रिजरेटर की सुविधा होगी, छोटे और बड़े जानवरों को काटने के लिए अलग जगह का प्रबंध करना होगा।
उन्होंने बताया कि मालिकों या ऑपरेटरों को स्लाटर हाउस पूरी तरह से इलेक्ट्रोनिक करनी होगी और उसे कीटाणुओं से साफ रखना होगा और काटने वाले व्यक्ति को यह सर्टिफिकेट देना होगा कि वह किसी घातक बीमारी से पीड़ित नहीं है। इसके अलावा कई अन्य शर्तें भी लागू की गई हैं। जब ऑपरेटर और मालिक इन सभी शर्तों का पालन करेंगे तभी उन्हें लाइसेंस मिलेगा।
उन्होंने बताया कि स्लाटर हाउस में यह व्यवस्था भी करना होगा कि जीवित जानवर किसी मरने वाले जानवरों को देख न पाए और साथ ही काटने से पहले जानवर को पानी पिलाने के लिए बोरवेल का प्रावधान करना होगा।
जानवर के अवशेष को ठिकाने लगाने के लिए मानकों के अनुसार गड्ढे खोदने होंगे। काटे गए जानवर को लटकाने के लिए काले शीशे लगाने होंगे ताकि उसे कोई देख न पाए। श्री शर्मा ने बताया कि सभी नालियां अंडरग्राउंड हों ताकि सफाई आसानी से हो सके।
जिस हॉल में कटाई हो वहाँ गर्म पानी की भी व्यवस्था हो. गोशत को सुरक्षित रखने की जगह रौशनी की उचित व्यवस्था हो और इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि जानवर को कोई बीमारी नहीं है.
स्लाटर हॉउस की धुलाई रोज़ होनी चाहिए और साल में एक बार रंग पूताई और पेंट कराना भी जरूरी होगा। इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि स्लाटर हॉउस में कुत्ते बिल्ली और परिंदे न पहुँच सके, वहीं काम करने वाले सभी लोगों को चेचक और अन्य बीमारियों के टीके लगाए जाने की शर्त भी पूरी करनी होगी।