आप ने फ़रमाया ए मेरी क़ौम! मैं तुम्हें सरिया तौर पर डराने वाला हूँ कि इबादत करो अल्लाह तआला की और इस से डरो और मेरी पैरवी करो। (सूरा नूह।२,३)
मैं तुम्हें आम फहम अल्फ़ाज़ में और खुले खुले अंदाज़ में डराने वाला बन कर आया हूँ, ताकि तुम बाज़ आ जाओ और तौबा करो। मेरी दावत के तीन बुनियादी उसूल हैं: (१) कुफ्र-ओ-शिर्क छोड़ दो, अल्लाह व दहू लाशरीक की इबादत करो, इस से तुम्हारे अक़ाइद दुरुस्त हो जाऐंगे।
तोहमात और वस्वसों से तुम्हारी अक़्लें आज़ाद हो जाएंगी और जब नूर ए तौहीद चमकेगा तो तुम्हारा सीना वादी ए अमन बन जाएगा (२) मेरी दावत का दूसरा उसूल ये है कि तुम तक़वा को अपना शुआर बना लो। जब तुम मुत्तक़ी और पार्सा बिन जाओगे तो फ़िस्क़-ओ-फ़ुजूर की उफ़ूनतों से तुम्हारा दामन पाक हो जाएगा। ज़ुल्म-ओ-सितम, लूट खसोट, झूट और ग़ीबत, ख़ुदग़र्ज़ी और हिर्स का तुम्हारे मुआशरे में नाम-ओ-निशान भी बाक़ी ना रहेगा।
ख़ुद सोचो इस तरह तुम्हारे मुआशरे में कितनी ख़ुश आइंद तब्दीली रौनुमा होगी (३) मेरी दावत का तीसरा उसूल ये है कि तुम मेरी इताअत करो। तुम्हारे रब ने मुझे मुर्शिद-ओ-रहनुमा बनाकर मबऊस फ़रमाया है, में तुम्हें सीधी राह पर ले चलूंगा और मंज़िल मुराद तक पहुंचा दूँगा। जब तुम मुझे अपना रहनुमा और पेशवा तस्लीम कर लोगे तो तुम मैं इंतिशार और तवाइफ़ अल मुलूकी की बजाय क़ौमी इत्तेहाद पैदा हो जाएगा।
तुम एक मुनज़्ज़म और मुत्तहिद मिल्लत की तरह क़ुव्वत-ओ-शौकत के साथ ज़िंदगी बसर कर सकोगे।