मर्कज़ी काबीना का कल इजलास मुनाक़िद होरहा है जिस में तवक़्क़ो है कि इमकना शोबे के लिए गैर मुल्की रास्त सरमायाकारी (एफ डी आई) क़वाइद में नरमी लाई जाएगी और फार्मा शोबा के बाअज़ अहम हिस्सों में 49 फ़ीसद गैर मुल्की रास्त सरमायाकारी की हद को कम किया जाएगा।
कई महिकमों बिशमोल डी आई पी पी ने हिन्दुस्तानी अदविया साज़ों की जानिब से आलमी मल्टीनेशनल फर्म्स के ज़रीये मुसलसल हुसूलयाबी पर तशवीश ज़ाहिर की। एक ओहदेदार ने बताया कि कल काबीना के इजलास में हाओज़िंग शोबों में एफ डी आई पॉलीसी पर नज़रेसानी की जाएगी।
डिपार्टमेंट आफ़ इंडस्ट्रियल पॉलीसी एंड प्रोमोशन (डी आई पी पी) ने एफ डी आई की 100 फ़ीसद हद को कम करते हुए 49 फ़ीसद करने की तजवीज़ पेश की है। हुकूमत का ये एहसास है कि हिन्दुस्तानी फर्म्स पर मल्टीनेशनल कंपनियों के कंट्रोल के नतीजे में टीके, इंजैक्शनस बिलख़सूस कैंसर और दीगर अदवियात में शामिल होने वाले अजज़ा की क़िल्लत होसकती है।
मल्टीनेशनल कंपनियां जो हिन्दुस्तानी फर्म्स हासिल कर रही हैं, वो हिन्दुस्तान में जुमला फ़रोख़त का एक फ़ीसद से भी कम सिर्फ़ करती हैं। वो हिन्दुस्तान में सिर्फ़ क्लीनीकल ट्रायल्स (आज़माईशी तजुर्बे) कर रही हैं और अदवियात के फ़रोग़ देने से उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है।
2008 में जापानी फ़र्म डाइची सानकेव ने मुल्क की सब से बड़ी अदविया साज़ कंपनी रैनबैक्सी को 4.6 बिलियन डॉलर्स में खरीद लिया। अमरीकी कंपनी अबोट लेबोरेटरीज ने डोमेस्टिक बिज़नस को 3.7 बिलियन डॉलर्स के इव्ज़ हासिल कर लिया। उस वक़्त हिन्दुस्तान ने फार्मा शोबा में सद फ़ीसद एफ डी आई की इजाज़त फ़राहम की है।
जहां तक इमकना शोबा में एफ डी आई का ताल्लुक़ है, डी आई पी पी ने इस क़वाइद में नरमी लाने की तजवीज़ पेश की है। अप्रैल 2000 और जून 2013 के दरमियान कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट बिशमोल टाउन शोप्स, हाओज़िंग और इन्फ़िरास्ट्रकचर के फ़रोग़ के सिलसिले में हिंदूस्तान को 22.24 बिलियन डॉलर्स एफ डी आई हासिल हुई जो इस मुद्दत के दौरान हिन्दुस्तान में होने वाले एफ डी आई की मजमूई रक़म का 11फ़ीसद है।