हुकूमत ने इमाम मक्का मस्जिद और सुपरिनटेन्डेन्ट की ख़िदमात में एक साल की तौसीअ की है ताहम तनख़्वाह के मसअले पर इमाम के साथ नाइंसाफ़ी का रवैया अख़्तियार किया गया।
हाफ़िज़ और क़ारी मुहम्मद रिज़वान क़ुरैशी जो गुज़िश्ता कई बरसों से मक्का मस्जिद के इमाम की हैसियत से ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं वो ना सिर्फ़ इमाम बल्कि जुमा के मौक़ा पर ख़तीब के फ़राइज़ बख़ूबी अंजाम दे रहे हैं लेकिन अफ़सोस कि इस क़दर अहम ज़िम्मेदारी के बावजूद हुकूमत ने उन्हें सिर्फ़ 11500 रुपये तनख़्वाह मुक़र्रर की है जबकि सुपरिनटेन्डेन्ट की हैसियत से ख़िदमात अंजाम देने वाले रिटायर्ड ओहदेदार को माहाना 20 हज़ार रुपये मुक़र्रर किए गए।
दिलचस्प बात तो ये है कि महकमा अक़लीयती बहबूद के पास इमाम से ज़्यादा सुपरिनटेन्डेन्ट की अहमीयत है। बताया जाता है कि बाअज़ ओहदेदारों की सिफ़ारिश और ख़ुशनुदी के सबब सुपरिनटेन्डेन्ट को 20 हज़ार रुपये माहाना मशाहीरा मुक़र्रर किया गया।
एक रिटायर्ड डी एम डब्लयू ऑफीसर को इस क़दर ज़ाइद मुशाहिरा पर मुक़र्रर करने के साथ साथ आला ओहदेदारों को चाहीए था कि वो इमाम और ख़तीब की हैसियत से ख़िदमात अंजाम देने वाले मौलाना हाफ़िज़ और क़ारी रिज़वान क़ुरैशी के मुशाहिरा में भी इज़ाफ़ा करते।
मौलाना हाफ़िज़ और क़ारी अबदुल्लाह क़ुरैशी ख़तीब मक्का मस्जिद की अलालत के बाद से क़ारी रिज़वान क़ुरैशी दोनों फ़राइज़ अंजाम दे रहे हैं। ईदैन के मौक़ा पर ईदगाह में इमामत और ख़ुतबा की ज़िम्मेदारी भी वो बाहुस्न ख़ूबी अंजाम दे रहे हैं।
मुसल्लियाने मक्का मस्जिद और आम मुसलमानों का तास्सुर है कि हुकूमत को इमाम मक्का मस्जिद की तनख़्वाह को भी सुपरिनटेन्डेन्ट के बराबर 20 हज़ार करनी चाहीए। इस एतबार से इमाम मक्का मस्जिद जिन का इन्हिसार सिर्फ़ तनख़्वाह पर है इस में इज़ाफ़ा की ज़्यादा ज़रूरत है।