इमारत शरिआ 82 साल बाद फिर चुनावी मैदान में, राजनीतिक पार्टी के गठन का भी हो सकता है एलान

दलित युवाओं के बहुजन आजाद पार्टी बनाने के बाद बिहार के अल्पसंख्यक भी लामबंद होने की तैयारी में हैं। गांधी मैदान में लाखों का जन सैलाब जुटा कर इतिहास रचने वाले इमारत शरिआ 82 साल बाद एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। इस बात की पुष्टि इमारत शरिआ के अमीर मौलाना वली रहमानी के उस बयान से भी होती है जिसमें उन्होंने एक समारोह में कहा था कि सियासत कोई शरजर ए ममुआ (प्रतिबंधित फल) नहीं है।

अल्पसंख्यक राजनीति पर नजर रखने वाले पत्रकार ईर्शादुल हक की माने तो पार्टी के गठन पर उच्चस्तरीय मंथन चल रहा है। इमारत शरिआ के अंदर इस बात को लेकर एक मत बन चुका है कि भविष्य में मुसलमानों को अपनी सियासत के लिए तैयार रहना होगा। आने वाले समय में इमारत शरिआ राजनीतिक पार्टी के गठन का एलान कर सकता है। इमारत ने अगर बिहार में अपनी पार्टी का गठन कर दिया तो यह बिहार के क्षेत्रीय दलों समेत कांग्रेस  के लिए भी भारी चुनौती पेश कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि इमारत शरिआ के तत्कालीन अमीर मौलाना सज्जाद व दीगर लोगों ने 1936 में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी का गठन किया था। इस पार्टी का गठन मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग की टू नेशन थ्योरी और कांग्रेस के मुस्लिमों की उपेक्षा के विरोध में किया गया था। 1937 में हुए चुनाव में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी ने मुसलमानों के लिए आरक्षित 40 में से 20 सीटें जीत ली थीं जबकि यूनाइटेड पार्टी को सात और कांग्रेस को महज 4 आरक्षित सीटों पर कामयाबी मिली थी।

साभार- अमर उजाला