(ख़ुसूसी रिपोर्ट ) इम्तेहान का मौसम करीब आते ही एक तरफ़ जहां स्कूल ,कॉलिजस ओरे युनिवरसीटीज़ में ज़ेर-ए-तालीम तलबा-ओ- तालिबात की तालीमी सरगर्मियों में अचानक इज़ाफ़ा होजाता है वहीं एक मौसम और है जो इस के साथ शामिल हो कर एक नए मौसम को जन्म देता है , ओर वो है ज़ीराक्स का मौसम । इम्तेहानात के अय्याम करीब आते ही हर गली ,हर चौराहा,हर इलाक़े में हर तरफ़ ज़ीराक्स की बहार आजाती है।
ज़ीराक्स का ये मौसम एक तरफ़ इस कारोबार से वाबस्ता अफ़राद के लिए ख़ुशीयों का पैग़ाम लाता है तो दूसरी तरफ़ एसे लाखों तालिब-ए-इल्मों केलिए आसानियां भी पैदा करता है जो बाज़ार में दस्तयाब कीमती किताबों ,मॉडल पेपर ,या गाइड्स , को खरीदने की इस्तिताअत नहीं रखते।बताया जाता है कि मुख़्तलिफ़ कोर्सस की किताबें ,मॉडल पेपर और गाइड्स की कीमतें भी एसे मौसम में बढ़ा दी जाती हैं ,या मज़कूरा किताबों पर दिए जाने वाले डिस्काउंट में कमी कर दे जाती है,एसे हालात में तालिब-ए-इल्मों की ज़्यादा तर तादाद अपने साथीयों की कताबों या उनके तय्यार करदा नोटिस,और Assignments की ज़ीराक्स कापीयां ही हासिल करने को तर्जीह देते हैं ।
इसके इलावा साल गुज़श्ता के इमतिहानी पर्चों के ज़ीराक्स ,नक़ल नवीसी केलिए,किताबों के छोटे छोटे ज़ीराक्स ,मॉडल पेपर या गाइड्स के ज़ीराक्स कराए जाते हैं जिसे इमतिहानी पर्चों की तय्यारी केलिए इस्तिमाल किया जाता है।शहर के एक मशहूर कॉलिज के करीब एक ज़ीराक्स सैंटर के मालिक सिरी साई के मुताबिक़ ,यूं तो साल तमाम ज़ीराक्स केलिए लोग ज़ीराक्स सैंटरस का रुख करते ही रहते हैं जिसका ताल्लुक़, राशन कार्ड, आई डी कार्ड, ज़मीनों के काग़ज़ात ,अदालती और दफ़्तरी काग़ज़ात के इलावा दीगर ज़रूरी काग़ज़ात से होताहै ,
ताहम इम्तेहानात करीब आते ही ज़ीराक्स के कारोबार में पाँच ता दस गुना इज़ाफ़ा होजाता है।दिलचस्प बात ये है कि ख़ुद ज़ीराक्स का कारोबार करने वाले मिस्टर साई ,इमतिहानी तय्यारी के हवाले से इस तरीका कार को बेहतर तसव्वुर नहीं करते , उनका कहना है कि ,किसी काम को पाए तकमील तक पहुचाने से पहले मंसूबा बंदी करली जाय तो नताइज में बेहतरी मुमकिन है,मगर तालिब-ए-इल्मों की अक्सरियत पढ़ाई या इम्तेहानात की तय्यारी के हवाले से किसी किस्म की मंसूबा बंदी नहीं करते,
और इम्तेहानात करीब आते हैं तो दिन रात एक कर देते हैं । चाय की थरमास के साथ रात भर जागना , जमाइ लेते हुए गुज़शता बरसों के इमतिहानी पर्चों को हल करना , दोस्तों के Assignments कीनक़ल उतारना अब आम बात होचुकी है ,..मगर हंगामी अंदाज़ में इम्तेहान की तैयारीयों की वजह से इम्तेहान हाल में परेशानीयों का सामना करना पड़ ता है और तालिब-ए-इल्मों के ज़हन पर गै़रज़रूरी दबाओ क़ायम हो जाता है ,
जिसके नतीजे में मुताल्लिक़ा तालिब-ए-इल्म इम्तेहान हाल में इस क़दर बेहतर मुज़ाहरा नहीं कर पाता जितना कि इन से उम्मीद की जाती है।लिहाज़ा बेहतर यही है कि इम्तेहान के अय्याम से एक दो माह कब्ल ही बेहतर अंदाज़ से मंसूबा बंदी की जाय और इस पर अमल किया जाय तो बेहतर नताइज की उम्मीद की जा सकती है।