राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने यह नोटिस उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले में कथित रूप से फर्जी पुलिस एनकाउंटर मामले में जारी किया है। आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव से चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 27 नवंबर को मुजफ्फरनगर जिले में 20 वर्षीय युवक के पुलिस एनकाउंटर के फर्जी होने के आरोप के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। मृतक युवक का नाम इरशाद अहमद था, उसके पिता का कहना है कि उसके बेटे का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। बावजूद इसके पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में उसे मार दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर आयोग का मानना है कि अगर पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया है, तो यह सीधे-सीधे पीड़ित और उसके परिवार के साथ मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है। आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग का यह भी मानना है कि पुलिस बल की ड्यूटी है वह लोगों की सुरक्षा करे, लेकिन वह अपराध से निबटने में नाकामयाब हो रही है और डर का माहौल बना रही है। अगर इस एनकाउंटर में किसी की मौत होती है, तो यह बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है और सीधे-सीधे गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है।
गौरतलब है कि 27 नवंबर को मृतक के गांव नागला से 12 किमी दूर पुलिस ने यह एनकाउंटर किया। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी अपने चार साथियों के साथ मिनी ट्रक में गौवंश ले जा रहा था, जब उसे रुकने के लिए कहा गया, तो उसने पुलिस पर फायर कर दिया। हालांकि मृतक के पिता और उसके गांव के लोगों का कहना है कि पुलिस का यह दावा बिल्कुल गलत है, क्योंकि मृतक ड्राइविंग भी नहीं जानता था।