इराक़ में कभी नहीं थे परमाणु हथियार, सीआईए एजेंट का खुलासा

नई दिल्ली  : 2003 में अमेरिकी सेना द्वारा पकड़े गये सद्दाम हुसैन से पूछताछ करने वाले व्यक्ति ने कहा कि सद्दाम ने अमेरिका के खिलाफ कभी सामूहिक विनाश के हथियार के इस्तेमाल के बारे में नहीं सोचा था|

सीआईए के पूर्व विश्लेषक जॉन निक्सन को 2003 में  इराकी तानाशाह से पूछताछ का काम सौंपा गया था | उन्होंने कहा कि व्हाइट हॉउस ये जानना चाहता था कि हुसैन ने सामूहिक विनाश के हथियार बनाये  हैं  | लेकिन उन्होंने बताया कि हुसैन और उनके सलाहकारों से बात करने के बाद और अनुसंधानों में इस बात की पुष्टि हुई है कि पूर्व इराकी नेता ने देश में परमाणु कार्यक्रम को सालों पहले रोक दिया था और उसे फिर से शुरू करने का कोई इरादा नहीं था.|

उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस निष्कर्ष को उनकी टीम की नाकामी के तौर पर देखा गया था | निक्सन ने बताया कि  हुसैन को फांसी दिए जाने के 2 साल बाद 2008 तक तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने उन्हें अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए नहीं बुलाया था |

पूर्व मुख्य कमांडर ने बताया कि वो उन कुछ लोगों में से एक हैं जिन्होंने बुश और हुसैन दोनों के साथ हाथ मिलाया है | उन्होंने कहा कि बुश हक़ीक़त से दूर थे और उनके सलाहकार उनकी हाँ में हाँ मिलाते थे |मुझे लगता था कि सीआईए की अहमियत होती है और राष्ट्रपति इसकी बात को मानते होंगे लेकिन बाद में मुझे पता चला की राजनीति ख़ुफ़िया एजेंसियों को प्रभावित करती है |निक्सन ने कहा कि उन्होंने 2011 में सीआईए इसलिए छोड़ दिया था कि इराक में जो कुछ सद्दाम के साथ हुआ था वो उसके लिए शर्मिंदा थे |

उन्होंने कहा कि बुश प्रशासन ने ये नहीं सोचा कि इराक पर हमले के बाद क्या नतीजा निकलेगा |शायद अगर वहां सद्दाम का शासन होता तो आईएसआईएस का उदय नहीं हो पाता|

श्री निक्सन की ये टिप्पणी चिल्कैत रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें टोनी ब्लेयर की अमेरिका के साथ युद्ध में ब्रिटेन को ले जाने के निर्णय पर अपना फैसला दिया है |सर  जॉन ने कहा है कि सद्दाम के साथ युद्ध की कोई ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि 2003 में सद्दाम से कोई खतरा नहीं था |उन्होंने कहा कि इराक के परमाणु हथियारों को ख़त्म करने के लिए सैन्य कार्यवाई कोई अंतिम विकल्प नहीं था| लेकिन युद्ध में ब्रिटेन को शामिल करके शांतिपूर्ण विकल्पों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था|