कुर्द कुर्द ग़ैर-अरबी लोग हैं और तुर्की के पहाड़ी इलाक़ों और सीमाई क्षेत्रों के साथ इराक़, सीरिया, ईरान और अर्मेनिया में रहते हैं. इनकी संख्या क़रीब ढाई से साढ़े तीन करोड़ के बीच है. ये मध्य पूर्व में चौथे सबसे बड़े जातीय समूह हैं. इसके बावजूद कुर्दों का कोई एक देश नहीं है. यहां तक कि बैतुल मुकद्दस को इसाईयों और यहुदियों से फतह करने वाले सलाहुद्दीन अयुबी खुद कुर्द में पैदा हुए. तो फिर आखिर कुर्द को तुकी और इराक क्यों देखना नहीं चाहते क्यों उन्हें दशकों से कुचला जाता रहा है. हाल के दशक में कुर्दों का प्रभाव बढ़ा है. ये तुर्की में अपनी स्वायत्तता के लिए लड़ रहे हैं तो सीरिया और इराक़ में अपनी अहम भूमिका के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ये इस्लामिक स्टेट का भी प्रतिरोध करते रहे हैं.
कुर्द मेसोपोटामिया के मैदान और पर्वतीय इलाक़ों के मूल निवासी हैं. अभी ये मुख्य रूप से दक्षिणी-पूर्वी तुर्की, उत्तरी-पूर्वी सीरिया, उत्तरी इराक़, उत्तर-पूर्वी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी अर्मेनिया में रहते हैं. आज की तारीख़ में ये मध्य-पूर्व में काफ़ी ख़ास समुदाय हैं. भले इनकी कोई प्रांतीय बोली नहीं है, लेकिन ये नस्ल, संस्कृति और भाषा के आधार पर एक हो रहे हैं. कुर्दों में अलग मत और धर्म के भी लोग हैं, लेकिन ज़्यादातर सुन्नी मुसलमान हैं.
तुर्की कुर्दों के लिए अलग देश का कोई प्रावधान नहीं रखा है और उन्हें अलग-अलग देशों में अल्पसंख्यक का दर्जा मिला. पिछले 80 सालों में जब भी कुर्दों ने अलग देश की मांग के लिए आंदोलन छेड़ा तो बर्बरता से कुचल दिया गया. तुर्की की सेना ने 1920 और 1930 के दशक में कुर्दिश उभार को कुचल दिया था. 20वीं सदी की शुरुआत में कुर्दों ने अलग देश बनाने की पहल शुरू की थी. सामान्य तौर पर कुर्दिस्तान बनने की बात कही जाती थी. पहले विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य की हार के बाद पश्चिमी सहयोगी देशों ने 1920 में संधि कर कुर्दों के लिए अलग देश बनाने की बात कही थी. 1923 में तुर्की के नेता मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने इस संधि को ख़ारिज कर दिया था.
कुर्दों और तुर्की के बीच गहरी दुश्मनी रही है. तुर्की में 15 से 20 फ़ीसदी कुर्द हैं. पीढ़ियों से तुर्की में कुर्दों के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार होता रहा है. 1920 और 1930 के दशक में तुर्की में कुर्दों के साथ टकराव और बढ़ा था. इसके बाद ज़्यादातर कुर्दों को फिर से बसाया गया.
कुर्दिश नाम और उनके रिवाज़ों को प्रतिबंधित कर दिया गया. इसके साथ ही कुर्दिश भाषा को भी प्रतिबंधित कर दिया गया. यहां तक कि कुर्दिश पहचान को भी ख़ारिज किया गया. कुर्दों को तुर्की की सरकार ने पहाड़ी तुर्क क़रार दिया. 1978 में अब्दुल्लाह ओकालन ने पीकेके की स्थापना की. इसे तुर्की के भीतर एक स्वतंत्र राष्ट्र राज्य बताया गया. इस स्थापना के 6 साल बाद इस ग्रुप ने हथियाबंद आंदोलन शूरू कर दिया. इसके बाद से अब तक 40 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं. 1990 के दशक में पीकेके ने अलग देश की मांग छोड़ दी और उसके बदले सांस्कृतिक और राजनीतिक स्वायत्तता की मांग रखी. हालांकि इसके बाद भी संघर्ष थमा नहीं.
तुर्क राष्ट्रपति ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने अंकारा की फ़ुरात नदी के पूर्वी क्षेत्र में कार्यवाही की योजना का समर्थन किया है। अर्दोग़ान ने कहाः “हमने ट्रम्प से बात की। इन आतंकियों को फ़ुरात का पूर्वी क्षेत्र छोड़ना होगा। अगर वे नहीं छोड़ेंगे तो हम उनका सफ़ाया कर देंगे। क्योंकि वे हमें परेशान करते हैं।”
इराक की बात करें तो वहां भी कुर्द 15 से 20 फ़ीसदी हैं. इराक़ में कुर्द अपने पड़ोसी देशों के कुर्दों के मुकाबले अच्छी स्थिति में रहे हैं. इन्हें कई तरह के अधिकार मिले हुए हैं. हालांकि इसके बावजूद इन्हें कई तरह के अत्याचार भी सहने पड़े हैं.
उत्तरी इराक़ में कुर्दों ने ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भी विद्रोह किया था, लेकिन उसे भी कुचल दिया गया था. एक बार फिर से कुर्द अलग देश के लिए एकजुट हो रहे हैं, लेकिन संघर्ष को मुकाम तक ले जाना इतना आसान नहीं है. जनमत संग्रह में जीत के बावजूद कुर्दिस्तान का गठन बिना अमरीका और संयुक्त राष्ट्र के सहयोग के संभव नहीं है.
सीरिया के कुर्द क्या चाहते हैं?
सीरिया की आबादी के 7% से 10% कुर्दों की आबादी है। राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह 2011 में शुरू होने से पहले दमिश्क और अलेप्पो के शहरों में रहते थे, और फिर कोबेने, अफरीन और कमानीली के उत्तर-पूर्वी शहर के आसपास तीन गैर-संक्रमित क्षेत्रों में थे। सीरिया के कुर्दों को लंबे समय से दबा दिया गया है और बुनियादी अधिकारों से वंचित किया गया है। 1960 के बाद से 300,000 लोगों को नागरिकता से वंचित कर दिया गया है, और कुर्द क्षेत्रों को “अरबीइज़” करने के प्रयास में कुर्दिश भूमि जब्त कर ली गई है और अरबों को पुनर्वितरित किया गया है।
जनवरी 2014 में, प्रमुख पक्ष डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी (पीवाईडी) सहित कुर्द पार्टियों ने अफरीन, कोबेन और जज़ीरा के तीन “केंटन” में “स्वायत्त प्रशासन” का निर्माण किया। मार्च 2016 में, उन्होंने “संघीय प्रणाली” की स्थापना की घोषणा की जिसमें मुख्य रूप से अरब और तुर्कमेन क्षेत्रों में आईएस ने कब्जा कर लिया था।
घोषणा को सीरिया सरकार, सीरियाई विपक्ष, तुर्की और अमेरिका द्वारा अस्वीकार कर दी गई थी। पीवाईडी का कहना है कि वह स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहा है, लेकिन जोर देते हैं कि सीरिया में संघर्ष को समाप्त करने के लिए किसी भी राजनीतिक समझौते में कुर्दिश अधिकारों के लिए कानूनी गारंटी और कुर्दिश स्वायत्तता की मान्यता शामिल होना चाहिए।
राष्ट्रपति असद ने सभी सीरिया पर नियंत्रण वापस लेने की कसम खाई थी और नियंत्रण कर भी लिया, लेकिन उनके विदेश मंत्री ने सितंबर 2017 में कहा था कि वह कुर्दों के साथ स्वायत्तता की मांग पर बातचीत करने के लिए खुले थे।