मग़रिबी ताक़तों के साथ इरान के ताल्लुक़ात मज़ीद ( और् भी) कशीदा हो गए हैं और ना सिर्फ ये आपसी ताल्लुक़ात बल्कि सारे इलाक़ा में कशीदगी पैदा होगई है की उनका इरान ने कल अपने न्यूकलीयर प्रोग्राम में ज़बरदस्त पेशरफ़्त ( आगे बढना) का ऐलान किया और साथ ही सदर महमूद अहमदी नज़ाद ने इरान में मज़ीद चार न्यूकलीयर प्लांटस के क़ियाम का ऐलान भी कर दिया ।
मिस्टर अहमदी नज़ाद ने यूरेनियम की अफ़ज़ोदगी के प्रॉजेक्ट में तेज़ी लाने का भी ऐलान किया और कहा कि अब इरान को न्यूक्लीयर फ्यूल के लिए बैरूनी दुनिया पर इन्हिसार ( निर्भर होना) की ज़रूरत नहीं होगी और इस का न्यूक्लीयर प्रोग्राम इरान में ही तैयार किए जाने वाले अजज़ा पर मुश्तमिल(शामिल) होगा । मिस्टर अहमदी नज़ाद ने इस तरह से सारी योरोपी बिरादरी को चैलेंज दिया है कि वो इरान को रोकने की कोशिश चाहे लाख करलें इरान अब रुकने वाला नहीं है और ना ही उसे अपने न्यूक़्लीयर प्रोग्राम केलिए किसी बैरूनी दुनिया की मदद दरकार होगा।
इरान ने यूरेनियम की अफ़ज़ोदगी के अमल में 20 फीसद तक इज़ाफ़ा का भी प्रोग्राम बना लिया है और अब मज़ीद( अतिरिक़्त) चार री एक्टर्स क़ायम किए जा रहे हैं। इरान का अब तक का वाहिद री एक्टर 1967 में क़साइम किया गया था जहां पाँच मेगावाट के पोल टाइप आलात ( उपकरण) नसब किए गए थे । सब से पहले इस प्लांट के लिए इंधन अरजनटीना की जानिब से फ़राहम किया गया था ताहम चंद बरसों बाद ये सरबराही रोक दी गई थी और नए प्लांटस के लिए इरान ने रूस और फ़्रांस से इंधन हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन अक्टूबर 2009 में ये सरबराही भी रोक दी गई ।
इस के बाद से ही इरान के न्यूक़्लीयर प्रोग्राम के ताल्लुक़ से तनाज़ा शिद्दत इख्तेयार करता गया और अब ये एक संगीन मसला बन गया है । अमेरीका इसराईल और दीगर मग़रिबी ममालिक किसी भी कीमत पर इरान को न्यूक़्लीयर ताक़त बनने से रोकना चाहते हैं जबकि इस का कहना है कि इस का न्यूक़्लीयर प्रोग्राम इंतिहाई पुरअमन मक़ासिद के लिए है जबकि मग़रिबी ममालिक का इल्ज़ाम है कि इरान न्यूकलीयर बम और दीगर हथियार तैयार कर रहा है । इसी इल्ज़ाम के तहत इरान के ख़िलाफ़ मुसलसल तहदेदात आइद की जा रही है और इस की मईशत को निशाना बनाने का अमल तेज़ तर हो गया है ।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा भी आलमी ताक़तों के इशारा पर काम कर रहा है ।
इरान ने गुज़शता दिनों ऐलान किया था कि वो अपने न्यूक़्लीयर प्रोग्राम के सिलसिला में ज़बरदस्त पेशरफ़्त ( आगे बढना, काबू) का बहुत जल्द ऐलान करने वाला है और कल सदर महमूद अहमदी नज़ाद की जानिब से जो ऐलान किया गया वो यक़ीनन उसके प्रोग्राम में एक ज़बरदस्त पेशरफ़्त के मुतरादिफ़ (निरंतर, बराबर) है । इस सारे अमल के ज़रीया एक तरह से अमेरीका इसराईल और दीगर मग़रिबी ममालिक को एक चैलेंज दिया गया है जो न्यूक़्लीयर प्रोग्राम के बहाने इरान पर भी एक जंग मुसल्लत करना चाहते हैं और वहां अपने नापाक अज़ाइम की तकमील करना चाहते हैं।
अमेरीका और इसराईल का कहना था कि इरान को न्यूक़्लीयर ताक़त बनने की इजाज़त नहीं दी जा सकती की उनका इस से आलमी अमन को ख़तरा लाहक़ है । हक़ीक़त ये है कि इरान को इसराईल और अमेरीका की जारहीयत से अपना दिफ़ा करने के लिए इस तरह के प्रोग्राम की ज़रूरत है ।
अगर इरान वाक़्यता न्यूकलीयर हथियार तैयार करना चाहता है तो ये उस की दिफ़ाई ( हिफाज़ती, बचाव संबंधी) ज़रूरत हो सकती है और अमेरीका और इसराईल को इस सूरत में इस पर एतराज़ का कोई हक़ नहीं पहूँचता कि दोनों ही ममालिक के पास तबाहकुन मिक़दार में न्यूक़्लीयर हथियार मौजूद हैं। न्यूकलीयर हथियार के मुआमला में भी आलमी क़वानीन और ज़वाबत मौजूद हैं लेकिन इन क़वानीन पर इतलाक़ के मुआमला में किसी तरह की जांबदारी और इम्तियाज़ को क़बूल नहीं किया जा सकता।
क़वानीन और उसूल सब के लिए यकसाँ ( एक सा) होने चाहिऐं जबकि अमेरीका और इसराईल अपनी मनमानी और हट धर्मी के इलावा जारिहाना तीव्र रखते हैं । ये रवैय्या ना सिर्फ इरान बल्कि सारी अमन पसंद दुनिया के लिए काबिल-ए-क़बूल नहीं हो सकता । जहां तक अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का सवाल है वो भी अमरीका के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है । अमेरीका के इशारों पर काम कर रहा है और इस के मुफ़ादात की तकमील का एक ज़रीया बन कर रह गया है ।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के इस तर्ज़ अमल से सारी दुनिया में इस आलमी इदारा की अफादियत और अहमियत घट गई है । शायद यही वजह थी कि गुज़शता दिनों सऊदी अरब के शाह अबदुल्लाह ने कहा था कि अब अक़वाम-ए-मुत्तहिदा पर अक़्वाम आलम को कोई भरोसा नहीं रह गया है । शाह अबदुल्लाह का ये तबसिरा अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के वजूद पर ही सवाल उठाने के मुतरादिफ़ है और उसे अपने तर्ज़ अमल पर नज़र-ए-सानी की ज़रूरत को वाज़िह करता है ।
इरान के न्यूकलीयर प्रोग्राम और अमेरीका और इसराईल की हट धर्मी-ओ-जारिहाना तीव्र की वजह से इलाक़ा में जंग के अंदेशे पैदा होगए हैं। वैसे भी इलाक़ा में सूरत-ए-हाल कशीदा हो गई है और ये अंदेशे बहुत पहले से ज़ाहिर किए जा रहे हैं। अब जबकि इरान ने अपने न्यूकलीयर प्रोग्राम में ज़बरदस्त पेशरफ़्त का ऐलान कर दिया है और चार नए प्राजेक्टस भी क़ायम किए जा रहे हैं तो मग़रिबी ताक़तों के लिए एक चैलेंज बन गया है ।
हालाँकि ये उन ही ममालिक की हट धर्मी है । एक उसे वक़्त में जबकि दुनिया का कोई ख़ित्ता जंग का मुतहम्मिल नहीं हो सकता इन ममालिक की हट धर्मी तेल की दौलत से मालामाल इलाक़ा को जंग में उलझा देने का बाइस बन सकती है । इरान के न्यूक़्लीयर प्रोग्राम पर जो अंदेशे हैं इन को बैन अल-अक़वामी जौहरी तवानाई इदारा और दुनिया के गैर जांबदार ममालिक के ज़रीया दूर किया जा सकता है ।
अमेरीका और इसराईल को ये समझना होगा कि जंग जहां इरान के मुफ़ाद में नहीं होगी वहीं ख़ुद उन के अपने मुफ़ादात भी मुतास्सिर हो सकते हैं।