इरान पर इसराईली हमले के अंदेशे

दुनिया भर में साज़िशों के लिए मशहूर यहूदी ममलकत इसराईल की जानिब से इरान को निशाना बनाने और इस पर फ़िज़ाई हमले करने के अनुदेशों को दिन ब दिन तक़वियत हासिल होती जा रही है । अमरीका ने ये इशारा दिया है कि इसराईल ने इस इमकानी फ़िज़ाई हमले की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

इन इत्तिलात की बुनियाद पर ही अमेरीका ने सारे इलाक़ा में अपने मुफ़ादात के तहफ़्फ़ुज़ के लिए हंगामी मंसूबे भी तैयार करलिए हैं और वो ये ज़ाहिर कर रहा है कि इस ने इसराईल के इन मंसूबों पर एतराज़ किया है और इसराईल को इस हमले के बाद पेश आने वाले हालात और अवाक़िब से भी वाक़िफ़ करवाने की कोशिश की है । इस के बावजूद यहूदी ममलकत इसराईल अपने अज़ाइम पर अटल है और वो दर पर्दा इस सिलसिला में त्यारियां जारी रखे हुए है ।

अमेरीका का कहना है कि इसराईल ने गुज़शता दिनों इसराईली मीज़ाईल की ज़द में आने से रोकने केलिए अपने एक न्यूक्लीयर ठिकाने को बंद कर दिया है और न्यूक्लीयर असासा जात को दूसरे मुक़ामात को मुंतक़िल किया गया है ताकि उन्हें इमकानी तसादुम की सूरत में तबाही से बचाया जा सके । ये सूरत-ए-हाल ना सिर्फ इरान केलिए बल्कि सारे इलाक़ा केलिए संगीन और ख़तरनाक कही जा सकती है और इस के असरात सारी दुनिया पर मुरत्तिब हो सकते हैं।

गुज़शता दिनों तेहरान में इरान के एक न्यूक्लीयर साइंसदां को क़तल कर दिया गया और इरान का इल्ज़ाम है कि अमेरीका और इसराईल इस साइंसदां के क़तल के लिए ज़िम्मेदार है जो इरान के न्यूक्लीयर प्रोग्राम का भी हिस्सा था । इस क़तल के बाद से इरान और अमेरीका-ओ-इसराईल के माबेन कशीदगी में इज़ाफ़ा हुआ है ।

हालाँकि ये कोई पहला इरानी साईंसंदा नहीं था जिस का अनहताई खु़फ़ीया तौर पर क़तल कर दिया गया । इसराईल और अमेरीका के अज़ाइम और यहूदी ममलकत के जारिहाना तीव्र को देखते हुए इरान का ये इल्ज़ाम बे बुनियाद नज़र नहीं आता कि इस के साईंसदां के क़तल में ये दोनों इरान दुश्मन ममालिक मुलव्वस रहे होंगे ।

क़तल-ओ-ग़ारतगरी की सियासत वैसे भी मग़रिबी ताक़तों और खासतौर पर अमेरीका की आदत बन गई है और वो अपनी इस आदत से दुनिया भर में मुस्लिम ममालिक को ही मुसलसल निशाना बनाता जा रहा है । अब इस का ताज़ा तरीन निशाना इरान है ।

इरान के ताल्लुक़ से मग़रिबी ममालिक और ख़ास तौर पर अमेरीका और इसराईल की मुहिम महिज़ इसराईल के वजूद और इस की बक़ा की फ़िक्र को ज़ाहिर करती है ।

जिस तरह इसराईल की जानिब से वक़फ़ा वक़फ़ा से इरान को निशाना बनाने की धमकियां दी जाती हैं इसी तरह इरान भी बारहा इस अज़म का इज़हार करता रहा है कि वो इसराईल को सफ़ा हस्ती से ही मिटा देना चाहता है । ये चपक़ुलश अब संगीन सूरत-ए-हाल इख़तेयार करती नज़र आ रही है ।

इसराईल धीरे धीरे सारी दुनिया में अपने आप को मनवा रहा है और इस के ताल्लुक़ात में इस्तिहकाम और तौसीअ भी आती जा रही है । यही वजह है कि वो इलाक़ा में अपने असर-ओ-रसूख़ को बढ़ावा देना और फ़रोग़ देना चाहता है और इस राह में असल रुकावट इरान है ।

इरान के न्यूक्लीयर प्रोग्राम की वजह से अमरीका से ज़्यादा तशवीश इरान को ही है और इसराईल की बक़ा का सवाल भी अमरीका के लिए ही अहमियत का हामिल है ।

इसी न्यूकलीयर प्रोग्राम को बुनियाद बना कर अब अमरीका और इसराईल उसे निशाना बनाने की कोशिशें कर रहे हैं।

इरान बारहा ये वाज़िह कर चुका है कि इस का न्यूकलीयर प्रोग्राम हथियारों की तय्यारी केलिए नहीं है बल्कि वो पुरअमन मक़ासिद केलिए ये प्रोग्राम आगे बढ़ा रहा है और अपने मुल़्क की तवानाई की ज़रूरियात पूरी करना इस का मक़सद है लेकिन इसराईल और अमेरीका मुस्लिम दुश्मनी की बुनियाद पर ये प्रोग्राम जारी रखने की इजाज़त देने को तैयार नहीं हैं और वो बहरसूरत इरान को इस प्रोग्राम से बाज़ रखना चाहते हैं।

यही वजह है कि इरान के ख़िलाफ़ एक से ज़ाइद मर्तबा मआशी तहदेदात आइद करदी गई हैं और एक तरह से इस का मआशी मुक़ातआ किया जा रहा है । इरान इन इक़दामात से बेनियाज़ होकर अपना न्यूक्लीयर प्रोग्राम जारी रखे हुए है और वो उसे रोकने यह बंद करने को क़तई तैयार नहीं है ।

ये इस का हक़ है और उसे इस से रोकने का अमेरीका और इसराईल को कोई हक़ नहीं पहूँचता । ये हक़ इस लिए भी नहीं पहूँचता कि इसराईल और अमेरीका के पास ख़ुद दर्जनों न्यूक्लीयर हथियार हैं और इस बात की कोई ज़मानत नहीं है कि उन्हें इरान के ख़िलाफ़ इस्तिमाल नहीं किया जाएगा।

इसी सूरत में अगर इरान न्यूक्लीयर हथियार की तैयारी दर पर्दा कर भी रहा है तो उसे वो ममालिक इस से बाज़ रखने की कोशिश करसकते हैं जो न्यूकलीयर हथियारों के फैलाव के ख़िलाफ़ हैं और जिन के पास ख़ुद ये हथियार नहीं हैं।

इसराईल की मुस्लिम दुश्मनी और इरान दुश्मनी मुस्लिमा है और वो सारी दुनिया में मुस्लमानों के ख़िलाफ़ नबरद आज़मा है । वो इस्लाम और मुस्लमानों के ख़िलाफ़ साज़िशें करता रहता है । अब इरान के ख़िलाफ़ इस के साज़िशें नाकाम होती नज़र आएं और इरान न्यूकलीयर प्रोग्राम को जारी रखना चाहता है तो इसराईल इस पर हमले के मंसूबे बना रहा है ।

अमेरीका ने इस पर सिर्फ एतराज़ करने पर इकतिफ़ा किया है जबकि उसे चाहीए कि वो अपने असर-ओ-रसूख़ और ताक़त का इस्तेमाल करते हुए यहूदी ममलकत को इस के जारिहाना अज़ाइम से बाज़ रखने केलिए हर मुम्किना कोशिश करे ।

ना सिर्फ ये बल्कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के लिए भी ज़रूरी है कि वो अपने इमेज को बेहतर बनाने की अमली कोशिश करते हुए इसराईल को इस के जारिहाना तीव्र से बाज़ रखे । दुनिया भर के तमाम अमन पसंद और इंसाफ़ पसंद ममालिक की भी ये ज़िम्मेदारी बनती है कि वो इसराईल को इस के अज़ाइम से बाज़ रखे की उनका इस हमले के असरात इरान तक महिदूद नहीं रहेंगे बल्कि सारी दुनिया इस से मुतास्सिर हो सकती है ।